
क्यों है ग्रहण में तुलसी का इतना महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
Solar Eclipse 2025: शनिवार, 29 मार्च 2025 को शनि अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ माना गया है। इससे पहले 14 मार्च को चन्द्र ग्रहण लगा था। आपको बता दें, इस बार सूर्य ग्रहण बहुत ही खास माना जा रहा है, क्योंकि सूर्य ग्रहण अगले दिन से ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू होने जा रही है।
आपको बता दें, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। लेकिन, फिर भी एहतियात के तौर पर कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के दौरान तुलसी से जुड़े विशेष नियम।
क्यों है ग्रहण की अवधि में तुलसी का इतना महत्व
हिंदू शास्त्रों में यह वर्णन मिलता है कि ग्रहण की अवधि में सूतक काल लगने पर वातावरण में नकारात्मक ऊर्जाओं का संचार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसके प्रभाव से कुछ चीजें अशुद्ध हो जाती हैं।
वहीं, तुलसी के पौधे को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय पौधा माना जाता है। ऐसे में ग्रहण काल में इसके पत्ते खाने में डालने से ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव उसपर नहीं पड़ता। यही कारण है कि ग्रहण की अवधि में तुलसी का इतना महत्व है।
करें ये काम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण के खाने-पीने की मनाही होती है। ऐसे में अगर ग्रहण के दौरान खाने में तुलसी के पत्ते डाल देते हैं, तो इससे ग्रहण के प्रभाव को कम किया जा सकता है और इससे भोजन भी अपवित्र नहीं होता है। ग्रहण खत्म होने के बाद इस भोजन को खाया जा सकता है।
न करें ये गलती
इस बार सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लग रहा है। ऐसे में इस दिन पर भूलकर भी तुलसी में जल अर्पित न करें और न ही तुलसी के पत्ते तोड़ें। इससे आपको जीवन में नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। भोजन आदि में डालने के लिए आप तुलसी के पत्ते एक दिन पहले ही तोड़ कर रख सकते हैं।
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जरूर करें सेवन
आयुर्वेद में भी तुलसी को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ग्रहण काल की अवधि में बाद तुलसी के पत्ते का सेवन करना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी लाभकारी साबित होता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद तुलसी के पत्ते का सेवन जरूर करें।






