बच्चों को इन 5 आदतों से बचाएं (सौ.सोशल मीडिया)
Chanakya Niti For Success : आचार्य चाणक्य की गिनती भारत के महान विद्वानों में की जाती है। जैसा कि आप जानते हैं कि आचार्य चाणक्य केवल पॉलिटिक्स और डिप्लोमेसी के जानकार ही नहीं थे, बल्कि वे लाइफ मैनेजमेंट के भी बड़े जानकार थे। उनकी नीतियां आज भी परिवार, रिलेशनशिप, शिक्षा और बच्चों के पालन-पोषण में सही रास्ता दिखाती हैं।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वे बच्चों को अच्छे-बुरे की पहचान कराएं और उन्हें बुरी चीजों और ट्रेंड्स से दूर रखें। ऐसे में आइए जानते हैं उन 5 आदतों के बारे में विस्तार से जिनसे बच्चों को हमेशा बचाकर रखना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि झूठ बोलने वाले इंसान को कभी भी समाज में इज्जत नहीं मिलता है। अगर बच्चे छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलना सीख जाते हैं, तो यह आदत धीरे-धीरे उनके स्वभाव का हिस्सा बन जाती है।
इससे न केवल उनका भरोसा टूटता है बल्कि आगे चलकर करियर और रिश्ते भी अफेक्टेड होते हैं। इसलिए माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वो अपने बच्चों को झूठ बोलने पर रोकें।
चाणक्य नीति के अनुसार, बच्चों के दोस्तों का असर उनके स्वभाव और फ्यूचर पर काफी गहरा पड़ता है। अगर बच्चा गलत संगति में पड़ जाए तो वह बुरी आदतें जैसे गाली-गलौज, झूठ बोलना, नशा या फिर पढ़ाई न करना सीख सकता है।
चाणक्य का कहना था कि, जैसे दूध में मिला जहर पूरे दूध को खराब कर देता है वैसे ही बुरी संगति इंसान का जीवन बिगाड़ देती है। इसलिए पेरेंट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि आप अपने बच्चों को सही गलत का फर्क बतलाएं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जैसा कि आप जानते है कि आलस ही आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर बच्चों को हर काम टालने की आदत पड़ जाए तो वे कभी जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे। बचपन से ही उनमें डिसिप्लिन और मेहनत का भाव जगाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे आगे चलकर मौके मिलने पर भी उनका फायदा नहीं उठा पाएंगे।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि, समय से बड़ा धन इस संसार में कुछ नहीं है। अगर बच्चा बचपन से ही अपना समय बेकार की चीजों में गंवाना सीख जाए तो वह कभी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगा।
समय का सही इस्तेमाल ही इंसान को सफल और महान बनाता है और यही कारण है कि बच्चों को बचपन से ही टाइम की वैल्यू समझाना काफी जरूरी हो जाता है।
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चाणक्य नीति के अनुसार, जो व्यक्ति दूसरों की इज्जत नहीं करता, उसे खुद भी कभी इज्जत नहीं मिलती। अगर यह आदत बचपन से ही बच्चों में आ जाए तो आगे चलकर उनके रिश्ते कमजोर हो जाएंगे और समाज में उन्हें भी हमेशा नापसंद ही किया जाएगा।