
Premanand Ji Maharaj With bhagat (Source. Pinterest)
Premanand Ji Maharaj ne bataya Man Ki Shanti ka mantra: आज के समय में हर इंसान के मन में किसी न किसी तरह की बेचैनी, डर, दुख या असमंजस छाया रहता है। जीवन की उलझनों के बीच लोग अक्सर यही सवाल करते हैं “कोई ऐसा मंत्र बता दो जिससे मन शांत हो जाए।” इसी प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने एक अत्यंत सरल, लेकिन गहन आध्यात्मिक मार्ग बताया है, जो केवल शास्त्रों में नहीं, बल्कि उनके स्वयं के अनुभव से उपजा हुआ है।
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यदि वास्तव में मन की शांति चाहते हो, तो केवल “राधा” नाम का जाप करो। उनके शब्दों में, “यदि ‘राधा’ नाम के जाप से भी तुम्हारा दुख, शोक और भय न मिटे, तो मेरे पास आ जाना।” यह नाम उनके जीवन की आधारशिला है सृजन करने वाला, पालन करने वाला और सबसे पूजनीय सत्य। जहां “राधा” नाम का वास होता है, वहां कोई भी विघ्न टिक नहीं सकता।
महाराज के अनुसार, “राधा” नाम स्वयं एक दिव्य सुरक्षा कवच है। कलियुग के दोष, भय, नकारात्मक शक्तियां और मानसिक कष्ट इस नाम के उच्चारण मात्र से दूर भागते हैं। वे बताते हैं कि इस नाम की शक्ति इतनी प्रबल है कि कोई श्राप, रोग, तंत्र-मंत्र या सांसारिक पीड़ा भक्त को छू तक नहीं सकती। यह नाम अमृत के समान है, जो सारे दुखों का नाश कर देता है और न केवल साधक को, बल्कि संपूर्ण संसार को भवसागर से पार लगाने की सामर्थ्य देता है।
कई साधक यह प्रश्न करते हैं कि नाम जप शुरू करते ही मन में घबराहट या “जलन” जैसी अनुभूति क्यों होती है। प्रेमानंद जी महाराज इसे आत्मा की शुद्धि की प्रक्रिया बताते हैं। वे उदाहरण देते हैं कि जैसे फोड़े का ऑपरेशन दर्द देता है, लेकिन रोग को जड़ से समाप्त कर देता है, वैसे ही नाम जप के दौरान पुराने पाप जलते हैं। यह अस्थायी कष्ट है, जिसके बाद मन आनंद में नृत्य करने लगता है।
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महाराज कहते हैं कि जैसे दवा तभी असर करती है जब डॉक्टर की सलाह मानी जाए, वैसे ही नाम जप का फल गुरु के निर्देशों का पालन करने से मिलता है। इसके लिए वे तीन नियम बताते हैं:
इन नियमों के साथ “राधा” नाम का जाप करने वाला व्यक्ति बड़े से बड़े संकट में भी टूटता नहीं, बल्कि मुस्कुराते हुए विपत्तियों को रौंद देता है।
“राधा” नाम की यात्रा केवल सांसारिक शांति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि साधक को दिव्य निकुंज तक ले जाती है। जैसे मीरा ने “राम रतन धन” पाकर आनंद में नृत्य किया, वैसे ही “राधा, राधा” का जाप जीवन को कृपा और आनंद की अनुपम कृति बना देता है।






