आकस्मिक मौत पर तर्पण (फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से पितृ पक्ष यानी श्राद्ध माह में पूर्वजों या पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने का विधान है। हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष आरंभ होता है जिसका समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है। इस साल पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो 2 अक्तूबर तक चलेगा।
पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के अलावा इस काल में स्नान-दान का भी बहुत महत्व है। इन दिनों में पवित्र नदियों में स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान जो लोग श्रद्धा भाव से पूर्वजों व पितरों का तर्पण करते हैं, उन्हें इन दिनों में कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान किन चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान प्याज, लहसुन, अंडा, मछली और मीट आदि तामसिक माने जाने वाले भोजन का सेवन करने की मनाही होती है। इसके अलावा नशीले पदार्थ जैसे शराब, सिगरेट, तंबाकू उत्पाद आदि का सेवन करना भी वर्जित माना जाता है।
पितृपक्ष के दौरान कुछ दाल और सब्जियों के अलावा कुछ मसालों को खाने की भी मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान खाने में राई, काला नमक, जीरा और सरसों के बीज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे आपको पूर्वजों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
पितृ पक्ष के दौरान गाजर, करेला, चुकंदर, सरसों का साग, अरबी, बैंगन, पेठा, मूली, शलजम आदि सब्जियों का सेवन करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पितृपक्ष की पूजा खंडित हो सकती है। इसके अलावा इस दौरान उन सब्जियों को खाने की भी मनाही होती है, जो जमीन के नीचे उगती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तामसिक भोजन के अलावा पितृपक्ष के दौरान चने की दाल, मसूर की दाल, उड़द की दाल और सत्तू को खाने की मनाही भी होती है। इस दिनों में ये दालें नहीं खानी चाहिए।
लेखिका- सीमा कुमारी