(सौजन्य सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में शिवरात्रि व्रत का बड़ा महत्व है। यह भगवान शिव और देवी शक्ति के मिलन का प्रतीक है। इस बार सावन महीने की ‘मासिक शिवरात्रि’ 2 अगस्त को मनाई जाएगी। मान्यता है कि सावन माह में शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलता है। इसके अलावा, सावन महीने में भगवान शिव शंकर की पूजा करने से साधक को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
विवाहित स्त्रियों को यह व्रत करने से अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त किसी बड़ी समस्या से घिरे हुए हैं उन्हें इस दिन का उपवास जरूर करना चाहिए। इस दिन के व्रत को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। तो ऐसे में आइए जानें इन नियमों के बारे में-
1- यदि आप महाशिवरात्रि का व्रत रख रहे हैं तो दिन में सोने से बचें। पूरा दिन शिव का स्मरण करें और मन को शांत रखें। इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को सभी बुराइयों से दूर रहना चाहिए तभी व्रत का फल प्राप्त होता है।
2- शिवरात्रि के दिन कुछ भक्त निर्जल उपवास रखते हैं, वहीं कुछ इस दिन फलाहार पर रहते हैं। आप क्षमता के अनुसार कोई भी उपवास रख सकते हैं। यदि आपने इस दिन निर्जला व्रत रखा है तो ध्यान रखें कि आपको पूरा दिन जल की एक बूंद भी नहीं लेनी है।
3- महाशिवरात्रि के दिन यदि आप एक समय का व्रत रख रहे हैं तब भी इस दिन सिर्फ एक समय ही भोजन कर सकते हैं।
4- शिवरात्रि के दिन व्रत रखने वाले लोग शाम के समय शिव जी की पूजा के बाद ही भोजन करें। वहीं, जो लोग पूर्ण रात्रि व्रत रखते हैं वह चारों प्रहर की पूजा करने के बाद अगले दिन सूर्योदय पर ही व्रत का पारण करें।
5- साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि इस व्रत में पूजा के दौरान पार्थिव शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण न करें। मिट्टी, पत्थर और चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर अर्पित किया प्रसाद नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ये चंडेश्वर का अंश होता है।
–ॐ नम: शिवाय।
-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
-शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
लेखिका- सीमा कुमारी