सूर्य को जल अर्पित करने के नियम (सौ. सोशल मीडिया)
Sun offering water Rules: अच्छे जीवन के लिए जरूरी नियम को अपनाना चाहिए। सुबह के समय अपने दिन की शुरुआत करते हुए सूर्य देवता को हर कोई जल चढ़ाते है। जल अर्पित करने से बुरे दिन खत्म होती है तो जीवन की अच्छी शुरुआत होती है। सूर्य को जल चढ़ाना जरूरी तो होता है लेकिन कम लोग ही जानते है यह किस्मत बदलने का अनोखा तरीका भी है। सूर्य को जल अर्पित करने के नियम के बारे में कम लोगों को ही पता होता है जिसके बारे में आज हम चर्चा करेंगे।
अगर आप जीवन की अच्छी शुरुआत करना चाहते है तो सूर्य को जल अर्पित करने के नियम के बारे में जान लेना चाहिए…
1- जल अर्पित करने के लिए तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि तांबे का धातु सूर्य की ऊर्जा आप तक पहुंचें।
2-सुबह जल चढ़ा रहे है तो आपको प्रतिदिन 9 बजे से पहले ही उन्हें जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की शुद्ध और गुणकारी किरणें आपको मिलती है।
3-तांबे के कलश में जल के अलावा अक्षत, रोली और लाल फूल जरूर डालें। ये चीजें सूर्य की तरंगों को आप तक पहुंचाती है।
4-सूर्य को जल देते वक्त आपका मुख पूर्व दिशा की तरफ ही होना चाहिए।इस दिशा में जल चढ़ाते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।
5- कहते है कि, जिस स्थान पर हम जल अर्पित करते है उस जल को स्पर्श करने के बाद अपने माथे पर जरूर लगाएं। ऐसा करने से आपके अंदर की सभी नेगेटिविटी दूर होती है।इन उपायों को करने से आपकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आने के साथ जीवन में हमेशा सफलता मिलती है।
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बताया जाता है कि, सूर्य को जल चढ़ाने से तीन चीजें जागृत होती है। इसमें पहली सप्तधातु, दूसरी पिंगला नाड़ी और तीसरी तप्त ताम्र प्रभाव शामिल है।
सप्तधातु (शरीर के 7 धातुएं)- इसका मतलब शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है।
पिंगला नाड़ी- सूर्य को जल देने से आपका आत्मविश्वास और एक्शन लेने की ऊर्जा में वृ्द्धि होती है।
तप्त ताम्र प्रभाव- ये नेगेटिविटी को अपने अंदर समाहित करके सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। यह सब होता है एक लोटा सूर्य को जल देने से, ये कोई रिवाज नहीं, बल्कि आपकी दिनचर्या है।