पापांकुशा एकादशी व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Papankusha Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार का महत्व होता है इसमें आज 13 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत मनाया जा रहा है। यह सभी एकादशी में से खास एकादशी होती है। नवरात्रि और दशहरा के बाद इस खास व्रत को रखा जाता है। बताया जाता हैं कि, यह व्रत व्यक्ति के सभी पापों से छुटकारा दिलाने के लिए रखा जाता है। इसमें मृत्यु के बाद भक्त के साथ, भक्त के पूर्वजों को भी मोक्ष मिल जाता है वहीं पर व्रत के प्रभाव से मानसिक शांति, संतान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति की जाती है। चलिए जानते हैं पापांकुशा व्रत का शुभ मुहूर्त और खास कथा।
यहां पर हिंदू पंचाग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर यानि दिन रविवार से शुरु हो रही हैं। इसमे 13 अक्टूबर, दिन रविवार की सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 14 अक्टूबर, दिन सोमवार की सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर होगा। यहां पर 13 और 14 अक्टूबर की तिथि एकादशी और द्वादशी के लिए जानी जाती है। आज 13 अक्टूबर को एकादशी व्रत की तिथि के अनुसार व्रत रखा जाएगा तो वहीं पर 14 अक्टूबर को व्रत का पारण करने का नियम बताया गया है। इस पापांकुशा एकादशी के दिन पूजा करने के लिए सुबह के समय का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:40 से दोपहर 12:25 तक बताया गया है।
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यहां पर पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक क्रूर बहेलिया रहता था, क्रोधन ने अपनी पूरी जिंदगी गलत कार्य जैसे हिंसा, मद्यपान, आदि में व्यतीत कर दी थी। जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तब यमराज ने दूतों को क्रोधन को लाने को भेजा। यमदूतों ने क्रोधन को इस बात की जानकारी दे दी कि कल उसके जीवन का अंतिम दिन होगा. मृत्यु के भय से डरकर क्रोधन महर्षि अंगिरा की शरण में पहुंच गया, महर्षि ने क्रोधन की दशा को देखकर उस पर दया की और उसे पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत के करने से क्रोधन के सभी पाप नष्ट हो गए और भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हुई।