
खरमास में खानपान क्यों बदला जाता है(सौ.सोशल मीडिया)
Kharmas Food Rules: 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो चुका है, जो आगामी 14 जनवरी 2026 तक रहेगा। खरमास के दौरान सनातन मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, नया व्यवसाय, वाहन या घर खरीदना आदि से परहेज किया जाता है।
इसके अलावा, खानपान को लेकर भी कई नियम बताए गए हैं। विशेष रूप से उड़द की दाल और राई का सेवन इस अवधि में नहीं किया जाता। इसके पीछे धार्मिक ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक कारण भी बताए गए हैं।
मान्यता है कि खरमास के दौरान शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसी कारण इस समय हल्का, सात्विक और सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर संतुलन बनाए रख सके।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उड़द और राई को तामसिक प्रवृत्ति का माना गया है। खरमास में तामसिक भोजन से बचकर सात्विक आहार अपनाने पर जोर दिया जाता है, ताकि मन और शरीर दोनों शुद्ध रहें।
आयुर्वेद के अनुसार उड़द दाल और राई की तासीर भारी और गरम होती है। कमजोर पाचन के समय इनका सेवन गैस, अपच और शरीर में सूजन बढ़ा सकता है। इसलिए खरमास में इनसे परहेज करने की सलाह दी जाती है।
खरमास में मूंग दाल, चावल, सब्जियां, दूध, फल और हल्का भोजन अधिक उपयुक्त माना जाता है। इससे पाचन ठीक रहता है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
खरमास में उड़द और राई से परहेज केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे आयुर्वेदिक तर्क भी छिपे हैं। इस दौरान संयमित और संतुलित आहार अपनाना स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से लाभकारी माना जाता है।
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