तुलसी विवाह में इन बातों का रखें ध्यान
Tulsi Vivah 2024: सुख-सौभाग्य का प्रतीक तुलसी पूजा का पावन पर्व इस बार 13 नवंबर, बुधवार के दिन पूरे देश भर में मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत अधिक महत्व होता है। क्योंकि, इस दिन से सभी मांगलिक और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
ऐसे में इस दिन का महत्व सनातन धर्म में बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति विधिपूर्वक तुलसी विवाह का आयोजन करता है, उसके वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते है तुलसी विवाह कैसे मनाया जाता है, तुलसी विवाह के दौरान किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
तुलसी विवाह कैसे मनाया जाता है
ऐसे करें तैयारी और सजावट
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, तुलसी विवाह से पहले तुलसी के पौधे को एक सुंदर गमले या बर्तन में सजाया जाता है। पौधे को विवाह के लिए तैयार किया जाता है और दुल्हन की तरह सजाया जाता है। रंग-बिरंगी चुनरी, श्रृंगार की सामग्री, फूलों की माला और कागज के आभूषण तुलसी के पौधे पर सजाए जाते हैं। वहीं, भगवान शालिग्राम की मूर्ति को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है।
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विवाह की रस्में पूरी होने के बाद तुलसी जी को विभिन्न प्रकार के पकवान, मिठाई और विशेष प्रसाद अर्पित किया जाता है। तुलसी विवाह के प्रसाद में विशेष रूप से शुद्ध और सात्विक खाद्य पदार्थ होते हैं। बाद में यह प्रसाद सभी भक्तों में वितरित किया जाता है।
तुलसी विवाह में इन बातों का रखें ध्यान
सनातन-शास्त्र के अनुसार, शादी में लाल रंग का जोड़ा बहुत शुभ माना जाता है। तुलसी जी के विवाह में भी लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। लोक मान्यता है कि माता तुलसी सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद देंगी और परिवार में खुशहाली बनी रहेगी।
तुलसी विवाह में तिल का उपयोग करें। माता तुलसी का पौधा जिस गमले में लगा हो, उसमें शालिग्राम भगवान को रखें और फिर तिल चढ़ाएं।
तुलसी जी और शालिग्राम महाराज पर दूध में भीगी हल्दी को लगाएं। तुलसी विवाह की पूजा में इसे शुभ माना जाता है।
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तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रह सकती है। तुलसी विवाह में शुद्ध और सात्विक भोग ही अर्पित करें।