
मई में इस दिन है कालाष्टमी (सौ.सोशल मीडिया)
भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखी जाती है। इस बार जेठ महीने की कालाष्टमी का व्रत 20 मई को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यता है इस दिन सच्चे मन से आराधना करने से कुंडली में स्थित ग्रहदोष दूर होते हैं। साथ ही, सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं एस्ट्रोलॉजर अंशुल त्रिपाठी से ज्येष्ठ महीने की कालाष्टमी तिथि पूजा विधि और मुहूर्त
मई में इस दिन है कालाष्टमी
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 20 मई की रात 1 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 21 मई को सुबह 12 बजकर 28 मिनट पर होगा। उदयातिथि की मान्यतानुसार मासिक कालाष्टमी का व्रत 20 मई को रखा जाएगा।
कालाष्टमी पर ऐसे करें काल भैरव की पूजा
कालाष्टमी व्रत के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
फिर नित्य क्रिया के बाद स्नान करें।
इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लीजिए।
फिर पूजा स्थल की सफाई करके गंगाजल छिड़किए।
अब आप मंदिर में चौकी रखें।
उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं फिर उसपर काल भैरव और शिव जी की मूर्ति स्थापित करिए।
अब आप शिव जी की पूजा शुरु करिए।
काल भैरव को सफेद चंदन का तिलक लगाइए।
फिर आप फल और मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद हाथ जोड़कर अपनी गलतियों की माफी मांगिए ।
अब आप काल भैरव की आरती करिए और व्रत का संकल्प लीजिए ।
अंत में सूर्य देव को जल अर्पित करिए और पूजा का समापन करिए।
क्या है कालाष्टमी का महत्व
हिन्दू धर्म में कालाष्टमी व्रत का बड़ा महत्व हैं। ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिल सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
कालाष्टमी के दिन व्रत और पूजा-पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और खुशहाली आती है। इतना ही नहीं, कालाष्टमी के दिन पूजा करने से शनि और राहु जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।






