विजया एकादशी(सौ.सोशल मीडिया)
Vijaya Ekadashi 2025 : हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। इस बार फाल्गुन महीने की एकादशी यानी विजया एकादशी 24 फरवरी को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। कहते हैं कि यदि सच्चे भाव से इस तिथि पर सृष्टि के संचालक विष्णु जी को केसर के हलवे का भोग लगाया जाए, तो वह प्रसन्न होते हैं और साधक के कष्टों को हर लेते हैं।
ऐसा माना जाता है कि विजया एकादशी व्रत के दौरान खानपान से जुड़े नियम का पालन न करने से साधक को व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है और व्रत टूट सकता है। ऐसे में व्रत के दौरान नियम का पालन करना बेहद जरूरी होता है। अगर आप एकादशी व्रत करते हैं, तो आइए आपको बताएंगे कि किन चीजों को व्रत थाली में शामिल कर सकते हैं।
विजया एकादशी व्रत में इन चीजों को करें शामिल
विजया एकादशी व्रत में कुट्टू के आटे की रोटी, आलू साबूदाने की सब्जी, दूध, दही और फल समेत आदि चीजों का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, मेवा और शकरकंद को भी व्रत थाली में शामिल कर सकते हैं।
एक बात का खास ध्यान रखें कि इन चीजों का सेवन करने से पहले भगवान विष्णु को भोग जरूर लगाएं और भोग में तुलसी के पत्ते शामिल करें। मान्यता है कि तुलसी के पत्ते के बिना प्रभु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं। व्रत में सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिए।
विजया एकादशी व्रत में क्या न खाएं जानिए
एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही है। साथ ही, व्रत में भी इसका सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। अन्न और नमक भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा लहसुन, प्याज, मसूर की दाल के सेवन से दूर रहें। ऐसा माना जाता है कि एकादशी व्रत में इन चीजों को खाने से व्रत टूट सकता है और भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं।
विजया एकादशी का क्या महत्व है
विजया एकादशी व्रत का उद्देश्य शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम ने विजया एकादशी का व्रत करके रावण को पराजित किया था। विजया एकादशी व्रत को रखने से रोग-शोक से मुक्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
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साथ ही, भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से व्यत्ति को सभी क्षेत्र में विजय मिलती हैं। यह व्रत रोग-शोक से मुक्ति दिलाता है और दुश्मनों पर विजय दिलाने वाला हैं। ऐसा कहा जाता है कि विजया एकादशी व्रत करने और इसके माहात्म्य को पढ़ने या सुनने से वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।