सोमवार व्रत (सौ.सोशल मीडिया)
Sawan 2025 : भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन अभी चल रहा है। चारों ओर भगवान शिव के जयकारों की गूंज रहे है। इस पूरे महीने शिव भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और मनोकामनाएं के लिए प्रार्थना भी करते हैं।
ज्योतिषयों के अनुसार, सावन के सोमवार का व्रत शिव भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, और यह विशेष रूप से अविवाहित यानी कुंवारी लड़कियों द्वारा बहुत ही उत्साह एवं आस्था के साथ रखा जाता है।
हिन्दू मतों के अनुसार, सोमवार का व्रत को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उन्हें उत्तम, सुयोग्य जीवनसाथी का आशीर्वाद देते है। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है और आज भी लाखों अविवाहित कन्याएं इसी विश्वास के साथ सावन सोमवार के व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं सावन सोमवार व्रत से जुड़ी मान्यता।
पौराणिक मान्यताएं के अनुसार, सावन के सोमवार का व्रत मां पार्वती से जुड़ी है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सोमवार का व्रत रखी थी। उन्होंने अन्न-जल त्याग कर कई वर्षों तक निराहार रहकर शिव जी की आराधना की। उनकी इसी अटूट तपस्या और श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
इसलिए, अविवाहित कन्याएं देवी पार्वती का अनुसरण करते हुए सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं, इस उम्मीद में कि उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी उन्हें भी पार्वती के समान सुयोग्य वर प्रदान करेंगे।
हिन्दू धर्म में देवों के देव भगवान शिव को आदर्श पति का प्रतीक भी माना जाता है। वे त्याग, प्रेम, संयम और वैराग्य के परिचायक हैं। ऐसा माना जाता है कि जो कन्याएं शिव जी की उपासना करती हैं, उन्हें शिव जी जैसे ही गुणों वाला पति मिलता है जो उनकी हर इच्छा का सम्मान करता है और जीवन भर उनका साथ निभाता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह से संबंधित ग्रह जैसे बृहस्पति और शुक्र होते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और शुभता को बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुयोग्य वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए सनातन धर्म में सावन सोमवार व्रत का महत्व है।