भगवान शिव की पूजा में इन फूलों को नहीं चढ़ाएं(सौ.सोशल मीडिया)
भगवान शिव की आराधना का महोत्सव यानी सावन मास जल्द शुरू होने जा रहा है। हिन्दू धर्म में सावन महीना की महिमा इतनी अधिक है कि कहते हैं कि अगर शिवजी को एक लोटा जल भी चढ़ा दिया जाए, तो वो शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार की चीजों से उनका अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही अलग-अलग प्रकार के फूल भी भोलेनाथ को अर्पित किए जाते हैं। हालांकि, कुछ फूलों को भगवान शिव की पूजा में प्रयोग करना वर्जित माना गया है।
ऐसे में शिवपुराण के अनुसार आइए जानते हैं कि वे फूल कौन से हैं, जो भगवान शिव को अर्पित नहीं करने चाहिए।
आपको बताते चलें कि, भगवान शिव की पूजा में कई फूल वर्जित होते है जो इस प्रकार है…
ज्योतिष के अनुसार, भगवान शिव की पूजा में वैसे तो केतकी के फूल नहीं चढ़ाए जाते है। वहीं पर धतूरे के अलावा, अन्य किसी भी प्रकार के कंटकारी फूल चढ़ाने से बचना चाहिए। कहते है कि, इस प्रकार के फूल चढ़ाने से घर में पारिवारिक क्लेश उत्पन्न होता है और आपसी संबंधों में दरार आने लग जाती है। इस वजह से बचना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य वत्स बताते है कि, भगवान शिव जी की पूजा में भूलकर भी सूरजमुखी का फूल भी अर्पित नहीं करें इसे भी वर्जित माना जाता है। इसे लेकर कहा गया है कि,सूरजमुखी फूल एक राजसी फूल और जिन भी वस्तुओं का संबंध राजसी रूप में होता है उन्हें शिव पूजन में वर्जित माना गया है। दरअसल भोले बाबा की पूजा में सरल वस्तुएं ही अर्पित की जाती है।
भगवान शिव को पलाश का फूल अर्पित नहीं करना चाहिए। इस फूल को टेसू भी कहते हैं। इसको अपवित्र माना जाता है। इस कारण भोलेनाथ को यह फूल अर्पित नहीं करना चाहिए।
ज्योतिष बताते है कि, भगवान शिव जी की पूजा में कमल का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि, कोई भी स्थान, वस्तु, दिशा आदि जिस भी किसी एक देवी-देवता के आधीन है उस पर किसी भी अन्य देवी-देवता का अधिकार नहीं होता है। यानि कमल का पुष्प भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अर्पित होता है इस वजह से भगवान शिव की पूजा में इन फूलों को भूलकर भी नहीं चढ़ाएं।
कांवड़ यात्रा में जाने से पहले ये 5 नियम गांठ बांध लें, वरना लग जाएगा महापाप
भगवान शिव को सभी भक्त कई चीजें चढ़ाते हैं। लेकिन उन्हें भूलकर भी केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। केतकी का फूल श्रापित फूल माना जाता है। इस फूल को भगवान शिव ने ही श्राप दिया था। इसीलिए इस फूल को भगवान शिव की किसी भी पूजा पाठ में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।