
उदयपुर: महाराणा प्रताप के वंशजों में बढ़ा विवाद
उदयपुर: जहां राजस्थान में उदयपुर के राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म पर बीते सोमवार को भयंकर बवाल हो गया। वहीं इस राजतिलक को लेकर विश्वराज सिंह और उनके चाचा के परिवार के बीच विवाद बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
इस राजतिलक पर महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने विश्वराज के राजतिलक पर नाखुशी जताई है। ऐसे में राज तिलक की परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस के गेट भी बंद कर दिए गए थे।
देखा जाए तो महाराणा प्रताप के वंशजों में ऐसा झगड़ा पहली बार ही देखने को मिला है। वहीं, बीते सोमवार देर रात करीब 1 बजे प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर रिसीवर की भी नियुक्ति कर दी है। कुर्की का यह नोटिस सिटी पैलेस के गेट पर लगाया गया है। इसे भी रात करीब एक बजे दो बार बदला गया।
महाराष्ट्र चुनाव की ख़बरों के लिए यहां क्लिक करें
चस्पा किए गए दूसरे नोटिस में दोनों ओर से हुई पत्थरबाजी की घटना का जिक्र किया गया है। वहीं, विश्वराज सिंह मेवाड़ रात करीब 1.30 बजे धूणी के दर्शन किए बगैर अपने निवास समोर बाग लौट गए हैं। इससे पहले वे करीब 8 घंटे तक समर्थकों के साथ सिटी पैलेस के बाहर डटे रहे थे । कुर्क की जानकारी मिलने और प्रशासन की ओर से जरूरी कार्रवाई के आश्वासन के बाद विश्वराज सिंह ने अपने समर्थकों से बात भी की थी।
वहीं उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने मेवाड़ के 77वें महाराणा के रूप में ताजपोशी किए गए भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के समर्थकों और सिटी पैलेस के प्रतिनिधियों के बीच झड़प के बाद हुए पथराव पर कहा कि, “कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। महल के प्रतिनिधियों के साथ-साथ समाज के प्रतिनिधियों से भी बातचीत चल रही है। हम कुछ मुद्दों पर सहमत हुए हैं, जबकि कुछ अन्य पर बातचीत अभी भी जारी है। अगर दोनों में से कोई भी समूह मामला दर्ज कराना चाहता है, तो फिर मुकदमा होगा।”
महाराष्ट्र चुनाव की ख़बरों के लिए यहां क्लिक करें
जानकारी दें कि, यह पूरा विवाद उदयपुर राजघराने के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे और नाथद्वारा से BJP विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक और इससे जुड़ी रस्मों को लेकर हुआ था।
देखा जाए तो राजशाही खत्म होने के बाद भी यह रस्म प्रतीकात्मक रूप से ही निभाई जाती है। विश्वराज सिंह राजतिलक के बाद इस सिटी पैलेस के अंदर धूणी के दर्शन करने जाना चाहते थे, लेकिन सिटी पैलेस में रहने वाले उनके चाचा के परिवार ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। यहीं से पूरा विवाद शुरू हुआ है। जो आज मंगलवार 26 नवंबर को भी जारी है। (एजेंसी इनपुट के साथ)






