विधायक कंवरलाल मीणा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (फोटो- सोशल मीडिया)
जयपुर: राजस्थान की राजनीति में अभी खूब बवाल मचा हुआ है। इस पर राहुल गांधी की सदस्यता को लेकर दोहरी मानसिकता को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जहां एक ओर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को महज 24 घंटे में समाप्त कर दिया गया था, वहीं राजस्थान में तीन साल की सजा पाने वाले विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता 21 दिन बाद भी बरकरार है। इसको लेकर राजस्थान के विपक्षी नेताओं ने राज्य सरकार पर दोहरे कानून अपनाने का आरोप लगाया है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और संविधान की व्याख्या को लेकर बहस तेज हो गई है कि क्या देश में सभी के लिए कानून बराबर नहीं होना चाहिए।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इस पर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा था कि वे महाधिवक्ता की राय के बाद निर्णय लेंगे, लेकिन 21 दिन बाद भी सदस्यता को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसी बीच विधायक कोर्ट में आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इस देरी पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर न्यायिक आदेशों को क्यों टाला जा रहा है, जबकि कानून के अनुसार दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर सदस्यता स्वतः समाप्त हो जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होगी अवमानना याचिका
विपक्ष का कहना है कि यह देरी न्यायालय की अवमानना है। विपक्षी नेता ने स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोष सिद्ध विधायक की सदस्यता स्वतः समाप्त होनी चाहिए। इसलिए वे कोर्ट की निगरानी में न्याय की उम्मीद के तहत अवमानना याचिका दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष संविधानिक दायित्व निभाने में विफल हो रहे हैं और यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।
विधानसभा अध्यक्ष पर लटकाने का आरोप
राजनीतिक विरोधियों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस मामले को जानबूझकर लटका रही है। उनका कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष AG की रिपोर्ट का बहाना बना रहे हैं ताकि कंवरलाल मीणा की सदस्यता को बचाया जा सके। इस दौरान यह भी कहा गया कि राज्य में गर्मी, बिजली और पानी संकट गहराया हुआ है, लेकिन सरकार इन मुद्दों से भटकी हुई है और गंभीर मामलों पर भी निर्णय लेने में देरी कर रही है।