राहुल गांधी, प्रताप सिंह बाजवा, भगवंत मान, केजरीवाल (फोटो- नवभारत डिजाइन)
चंडीगढ़ः आम आदमी पार्टी में दिल्ली चुनाव के बाद थोड़ी हलचल है। राजनीतिक गलियारों चर्चा आम है कि AAP में टूट हो सकती है। इस बीच पार्टी सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सभी विधायकों की आज बैठक बुलाई है। इस बैठक में बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक पंजाब में भगवंत मान के काम से पार्टी के लोग खुश नहीं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केजरीवाल मुख्यमंत्री भी बदल सकते हैं, उनकी जगह कुलतार सिंह संधवां, जो वर्तमान में पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष हैं उनको मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। कुलतार सिंह संधवा पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पोते हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस पार्टी की वजह से झटका लगा है। राजधानी के विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत की बात करें तो यहां भाजपा को 45.56 प्रतिशत वोट मिला है, वहीं आम आदमी पार्टी को 43.57 प्रतिशत वोट मिला है। 2.1 प्रतिशत वोट आम आदमी पार्टी को भाजपा से कम मिला है, लेकिन इस 2 प्रतिशत वोट ने सीटों में बड़ा अंतर पैदा कर दिया। वहीं कांग्रेस जो पिछले दो चुनावों में 4 प्रतिशत वोट तक सिमट जाती थी। इस बार उनसका वोट 6.39 प्रतिशत तक बढ़ा है। अंतर साफ कि आप का वोट बैंक कुछ भाजपा में तो कुछ कांग्रेस में शिफ्ट हो गया। जिसकी वजह से अरविंद केजरीवाल मुश्किल में फंस गए।
केजरीवाल बनेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री
इसके बाद क्या था पंजाब सरकार को लेकर दावों की भरमार होने लगी। पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि आप के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। जिसके बाद खबर चली की आम आदमी पार्टी की सरकार गिर सकती है। वहीं भाजपा की तरफ से कहा गया कि अरविंद केजरीवाल अब भगवंत मान को हटाकर स्वयं मुख्यमंत्री बनने वाले हैं।
टूटे विधायक तो भी नहीं बनेगी कांग्रेस सरकार
लेकिन पंजाब विधानसभा में आप के विधायकों की संख्या, बहुमत के आंकड़े पर किसी का ध्यान नहीं गया। यदि पंजाब में आप विधायकों की संख्या देंखे तो पता चलता है कि 30 विधायक टूट गए तो भी सरकार पर कोई खतरा नहीं आएगा। क्योंकि कांग्रेस पार्टी के पास विधायकों की संख्या है, जिससे वह बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। भगवंत मान से पार्टी के अंदर नाराजगी के मायने अलग हैं। ये नाराजगी इतनी भी नहीं की सरकार गिरा दी जाए।
पंजाब विधानसभा का समीकरण
पंजाब की 117 विधायकों वाली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के पास 94 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं। भाजपा के पास 3 विधायक, अकाली दल के पास एक और बसपा के पास है। बहुमत का आंकड़ा 59 है। ऐसे में यदि आम आदमी पार्टी के 30 विधायक टूट भी जाएं तो 48 ही होता है। भाजपा कांग्रेस के साथ जाएगी नहीं, अकाली दल व बसपा के विधायकों को मिलाने के बाद भी संख्या 50 तक ही पहुंचती है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार बननी मुश्किल है।