डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के विकास में अपना अहम योगदान दिया। जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन के कुछ ऐसे अहम पड़ाव के बारे में जिससे उनके जीवन को और देश को भी एक अलग और नई दिशा मिली।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन के कुछ अहम पड़ाव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल में निधन हो गया है। गुरुवार रात 9:51 बजे 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें कि पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे। डॉ. मनमोहन सिंह एक यशस्वी प्रधानमंत्री थे और आर्थिक विकास को उन्होंने गति दी, इस बात को कोई नकार नहीं सकता। जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन के कुछ ऐसे अहम पड़ाव के बारे में जिससे उनके जीवन को और देश को भी एक अलग और नई दिशा मिली। (सभी फोटो सोर्सः सोशल मीडिया)
डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने 2004 से 2014 तक 2 बार प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दी। वे यूपीए सरकार के तीसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व में देश ने वैश्विक स्तर पर अपनी साख मजबूत की। भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक दशक से अधिक समय तक अभूतपूर्व वृद्धि और विकास का नेतृत्व किया।
डॉ. मनमोहन सिंह का करियर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में शुरू हुआ। उनकी आर्थिक कुशलता ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। 1990 से 1991- प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रहे। 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली। मनमोहन सिंह ने 1991-96 के दौरान पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में देश के वित्त मंत्री के रूप में काम किया और बड़े सुधार लाए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में अच्छे बदलाव हुए।
डॉ. मनमोहन सिंह का सरकारी सेवा में एक लंबा और शानदार करियर था। उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान 1971 में फॉरेन ट्रेड मिनिस्ट्री में आर्थिक सलाहकार के रूप में सेवाएं दी थीं। उन्हें 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर 1976 तक रहे थे। 1991- नरसिंहराव सरकार में वित्त मंत्री बने। 1985 से 1987- योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह 1976 और 1980 के बीच कई अहम पदों में रहे। वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक और इंडस्ट्रियल डेवल्पमेंट बैंक के निदेशक पद पर भी रहे थे। 1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। इस दौरान उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण का मार्ग प्रशस्त किया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली।
डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय में 'डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर' के सचिव भी थे। वे एटॉमिक एनर्जी कमीशन के साथ-साथ स्पेस कमीशन के सदस्य थे। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को याद रखा जाएगा। उन्होंने इस समझौते के लिए अपनी सरकार दांव पर लगा दी थी, लेकिन अपने फैसले पर अटल रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। उन्होंने बाद में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। 1957 से 1965 में चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक बने। 1969 से 1971- दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर रहे। डॉ. मनमोहन सिंह 1976 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मानद प्रोफेसर बने। 1996 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफेसर बने।
डॉ. मनमोहन सिंह छठी बार राज्यसभा के सदस्य रहे। वे राज्यसभा उपचुनाव 2019 में राजस्थान से निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को निर्विरोध राज्यसभा सदस्य घोषित किया गया था। इस दौरान डॉ. मनमोहन सिंह छठी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। इससे पहले वे असम से पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे थे। 2001- तीसरी बार राज्यसभा सदस्य बने और सदन में कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता बने।
डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के विकास में अपना अहम योगदान दिया। भारत के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। जीवनभर देश के लिए जीने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार 26 दिसंबर 2024 को अंतिम सांस ली। उन्हें तबीयत खराब होने के बाद एम्स के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया था। दुर्भाग्यवश उनके जीवन का यह आखिरी पड़ाव था।