भारत में सिंधु नदी का बहुत महत्व है, इस नदी को केवल पानी का एकमात्र स्त्रोत ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।सिंधु नदी को भी पवित्र नदियों की क्षेत्री में रखा जाता है और इसे नदियों की रानी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में सिंधू नदी की मान्यता (सौ. सोशल मीडिया)
Indus River: बीते दिन जम्मू कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई तो वहीं पर पूरा भारत पाकिस्तान के खिलाफ हो गया है। भारत ने इस मामले में कड़े फैसले लेते पाकिस्तान के साथ सिंधू जल संधि को रद्द कर दिया है। क्या आप जानते हैं सिंधू नदी का हिन्दू धर्म में अलग स्थान है और यह नदी अलग खासियत रखती है।
सिंधू नदी केवल पानी का एक स्त्रोत नहीं मानी जाती है बल्कि हिंदू धर्म सिंधू नदी को पूजा जाता है। बताया जाता है कि, सिंधु नदी को भी पवित्र नदियों की क्षेत्री में रखा जाता है और इसे नदियों की रानी कहा जाता है।
दरअसल यह नदी एशिया की प्रमुख नदियों में से एक मानी जाती है। यह नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है और पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर में मिलती है।
हिंदू धर्म के वेदों में भी इस सिंधु नदी के बारे में वर्णन मिलता है। कहते है कि, सिंधु इस नदी के तट पर कई ऋषि- मुनियों ने तपस्या की, धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी नदी के तट पर बैठ कर कई वेद- पुराणों की रचना भी हुई है।
वेदों के ही ऋग्वेद में सिंधु नदी का अनेक बार वर्णन हुआ है. "इमं मे गंगे यमुने सरस्वति...सिंधु स्तोमं आर्जुनयं" पवित्र नदी सिंधु जो 'नदियों की रानी' और ज्ञान की नदी भी कहा जाता है।
सिंधु नदी के मुहाने यानि नदी के मुख पर कराची के पास हिंगलाज स्थान पर हिंगलाज माता का मंदिर है, जो 52 शक्तिपीठों में से एक है. हिंगोल नदी, सिंधु नदी की एक सहायक नदी है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बहने वाली एक नदी है।
सिंधु दर्शन महोत्सव हर साल लद्दाख के लेह में आयोजित किया जाता है।यह सिंधु नदी के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का एक माध्यम है. जून के माह में गुरु पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।