नागपुर शहर के बाजारों में होली से सप्ताहभर पहले ही रंग और पिचकारी की रौनक देखने को मिलने लगी है। शहर की लगभग सभी थोक दुकानों में रंग-गुलाल और पिचकारियों की बिक्री शुरू हो चुकी है।
पिचकारियों और मुखौटों से बाजार गुलजार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर शहर के बाजारों में होली से सप्ताहभर पहले ही रंग और पिचकारी की रौनक देखने को मिलने लगी है। शहर की लगभग सभी थोक दुकानों में रंग-गुलाल और पिचकारियों की बिक्री शुरू हो चुकी है। इस बार लेटेस्ट ट्रेंड में इलेक्ट्रॉनिक गन और अरारोट से बने रंगों की अधिक मांग देखी जा रही है। महंगे होने के बावजूद इनकी डिमांड बढ़ी है, जिसके चलते व्यापारियों ने बड़ी संख्या में इनका ऑर्डर दिया है।
होली के पर्व को देखते हुए मार्केट भी रंग-बिरंगे कलर्स, गुलाल के साथ विविध तरह की डिजाइनर व फैंसी पिचकारियों से सज गया है। मार्केट में गुलाल उड़ाने के लिए खास आइटम्स आए हैं। इसमें बैटरी और रिफिल वाली पायरो गन्स के साथ इलेक्ट्रॉनिक पिचकारी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसकी बच्चों के साथ बड़ों में भी डिमांड देखी जा रही है। इसके अलावा होली पार्टियों के लिए 2, 4 व 6 किलो वाले गुलाल सिलेंडर्स आए हैं।
पायरो गन्स और गुलाल सिलेंडर से पूरा माहौल रंग-बिरंगा हो जाता है। लोहा ओली, इतवारी, पुराना भंडारा रोड के थोक बाजार के साथ ही कुछ स्थानीय बाजारों में पारंपरिक व हर्बल रंग, गुलाल की दुकानें लग चुकी हैं। विविध तरह के मुखौटे, टोपियां, रबर, फोल्डिंग वाली पुंगी, प्लास्टिक व फर के मास्क भी काफी आकर्षित कर रहे हैं।
15 से 20 प्रतिशत का इजाफा हर वस्तु की तरह ही होली के रंगों व पिचकारियों पर भी महंगाई का रंग चढ़ा हुआ है। पिचकारियों के साथ रंग व गुलाल की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस बार टैंक वाली पिचकारियों में कार्टून के साथ हीरो-हीरोइन और क्रिकेटर वाले कैरेक्टर की धूम है। पायरो गन से गुलाल स्मोक के रूप में निकलता है।
थोक में इसकी कीमत 400 रुपये से शुरू है जो चिल्लर में 500 से 600 रुपये की रेंज में है। हल्के गुलाल की रेंज 130 से 150 रुपये प्रति किलो व हर्बल गुलाल की रेंज 800 से 1,000 रुपये प्रति किलो चल रही है। हर्बल गुलाल में 80 से 100 रुपये वाली डिब्बी भी मार्केट में उपलब्ध है।
लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं। इसलिए वे बाजार में स्किन फ्रेंडली कलर व हर्बल गुलाल की डिमांड कर रहे हैं। इतवारी स्थित थोक व्यापारी विराग संघवी बताते हैं कि अभी ज्यादातर हर्बल रंगों की मांग अधिक चल रही है। इससे शरीर पर किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता।
हर्बल आंख में भी चला जाए तो जलन नहीं करता, वहीं पारंपरिक (बेसिक) रंगों में रसायन मिला होने के चलते यह शरीर पर रैशेज छोड़ने के साथ जलन भी करता है। इन्हीं सब कारणों के चलते आज लोग इको फ्रेंडली होली खेलने के हर्बल रंग व गुलाल को काफी अधिक पसंद करते हैं।
मार्केट में नए रबर और प्लास्टिक के हॉरर के साथ शेर, गोरिल्ला और बिल्ली के ओरिजिनल दिखने वाले मुखौटों की धूम है। साथ ही नई-नई स्टाइल के विग्स भी आए हैं। अलग-अलग तरह के करलिंग हेयर विग्स तो देखते ही बनते हैं। मास्क मुखौटों में 80 से 100 और टोपियों में 70 से 80 वेरायटी हैं।
व्यापारी शशांक जैन बताते हैं कि मार्केट में नियॉन बॉडी पेस्ट आया है जो कि वॉशेबल है। इस बार थोक बाजार में 10 से 1,000 रुपये की पिचकारियां हैं। चिल्लर बाजार में इनकी रेंज 20 से 1,000 रुपये से ऊपर हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक पिचकारी ऑनलाइन में जहां 2,200 से 2,300 रुपये की है, वहीं थोक बाजार में यह 1,100 से 1,200 रुपये में आ रही है। अब लोगों को गुलाल से लेकर कलर्स भी ब्रांडेड चाहिए। इसमें गणेश, मुर्गा व तोता ब्रांड को सभी काफी पसंद करते हैं, इस बार होली का लोगों में जमकर उत्साह नजर आ रहा है।
रंगों के साथ गोल्डन रंग और वार्निश व अच्छी क्वालिटी वाले पैक किए हुए रंगों की अच्छी मांग की जा रही है। इस समय मार्केट में पूरी तरह से इंडिया में बना हुआ माल छाया हुआ है। चाइना अब मार्केट से आउट हो चुका है।