
बीजेडी नेता वीके पांडियन (सौजन्य सोशल मीडिया)
भुवनेश्वर: पूर्व नौकरशाह और बीजेडी नेता वीके पांडियन ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश पोस्ट करते हुये कहा कि वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। वीडियो संदेश में पांडियन ने बीजू जनता दल की हार के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुये माफी मांगी और कहा उन्हें खेद है कि उनके खिलाफ अभियान ने पार्टी को चोट पहुंचाई। बता दें कि ओडिशा में बीजेडी हार के बाद से ही पांडियन लगातार निशाने पर थे।
ओडिशा के पूर्व सीएम और बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक के करीबी वीके पांडियन ने अपने संदेश में बीजू जनता दल के परिवार और कर्मचारियों से माफी मांगते हुये कहा कि वे नवीन पटनायक की मदद करने के लिए राजनीति में आये थे। इससे पहले नवीन पटनायक ने शनिवार को पांडियन के खिलाफ चल रही आलोचनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। बताया जाता है कि पार्टी की हार को लेकर पांडियन बीजेडी नेताओं की कड़ी आलोचना झेल रहे थे।
पांडियन ने राजनीति में आने के ठीक 6 महीने और 13 दिन बाद सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के दौरान कहा कि वह ओडिशा को अपने दिल में तथा ‘गुरु नवीन बाबू’ को अपनी सांसों में रखेंगे। पांडियन ने वीडियो संदेश में कहा, “मेरा राजनीति जॉइन करने का मकसद सिर्फ नवीन पटनायक को सहयोग करना था। अब मैंने सक्रीय राजनीति छोड़ने का फैसला किया है। अगर इस यात्रा में मेरे से कोई गलती हुई तो मैं माफी चाहता हूं। मेरे खिलाफ चलाए गए नैरेटिव अभियान से बीजेडी को चुनाव में नुकसान हुआ तो मैं इसके लिए पूरे बीजेडी परिवार से माफी चाहता हूं। ”
चुनाव प्रचार के दौरान पांडियन ने कहा था कि अगर पार्टी अध्यक्ष पटनायक विधानसभा चुनाव के बाद लगातार छठी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री नहीं बने, तो वह (पांडियन) राजनीति छोड़ देंगे। पांडियन ने झाड़सुगुडा जिले के ब्रजराजनगर में एक रैली में घोषणा की थी, ‘‘भाजपा कहती है कि ओडिशा में भाजपा की लहर है और परिवर्तन की लहर है, लेकिन मैं दृढ़ता से कहता हूं कि अगर मुख्यमंत्री (पटनायक) दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।”
ससे पहले अपने करीबी सहयोगी का बचाव करते हुए बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने पांडियन के खिलाफ हो रही आलोचना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था और शानदार काम करने के लिए उनकी सराहना की थी। पटनायक ने यह भी स्पष्ट किया था कि पांडियन उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं। उन्होंने कहा था, ”पांडियन की आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। वह पार्टी में शामिल हुए और उन्होंने कोई पद नहीं संभाला। उन्होंने किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ा। जब भी मुझसे मेरे उत्तराधिकारी के बारे में पूछा गया, मैंने हमेशा स्पष्ट रूप से कहा कि वह पांडियन नहीं हैं। मैं फिर से दोहराता हूं कि ओडिशा के लोग मेरा उत्तराधिकारी तय करेंगे।”
अपने निर्णय की घोषणा करते हुए पांडियन ने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं सहित पूरे बीजू परिवार से क्षमा मांगी और उन लाखों बीजद सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिनसे वे जुड़े हुए थे। पांडियन ने कहा, ‘‘मैं ओडिशा को हमेशा अपने दिल में तथा अपने गुरु नवीन बाबू को अपनी सांसों में रखूंगा तथा उनकी खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करूंगा।”
अपनी पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए पांडियन ने कहा कि वह तमिलनाडु के एक साधारण परिवार और छोटे से गांव से आते हैं। उनके बचपन का सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल होकर लोगों की सेवा करना था। पांडियन ने कहा कि नवीन पटनायक के लिए काम करना सम्मान की बात थी। उन्होंने आगे कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेकर उन्होंने आईएएस छोड़ दिया और अपने गुरु नवीन पटनायक की सहायता के लिए बीजद में शामिल हो गये। पांडियन ने यह भी साफ किया कि उनका एकमात्र उद्देश्य नवीन पटनायक की मदद करना था और उन्हें किसी राजनीतिक पद की कोई इच्छा नहीं थी। इसलिए, वे न तो चुनाव में उम्मीदवार थे और न ही बीजद में किसी पद पर थे।
ज्ञात हो कि ओडिशा में 147 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 78 सीटें जीतकर यहां बड़ा उलटफेर कर बीजद के 24 साल के शासन को समाप्त कर दिया। बीजेडी को मात्र 51 सीटें मिली। वहीं कांग्रेस ने 14 और सीपीआई (एम) ने एक सीट जीती। राज्य की 21 लोकसभा सीटों में जहां बीजेडी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही वहीं भाजपा ने 20 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस ने एक सीट जीती।






