मिजोरम के सीएम लालदुहोमा (फोटो सोर्स - सोशल मीडिया)
आइजोल: मिजोरम सरकार विदेशियों के लिए कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में जाने के वास्ते आवश्यक यात्रा दस्तावेज संरक्षित क्षेत्र परमिट (पीएपी) की व्यवस्था लागू करने की प्रक्रिया में है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने यह कदम म्यांमार की सीमा से लगे तीन पूर्वोत्तर राज्यों-मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड में पीएपी को फिर से लागू करने के केंद्र सरकार के निर्देश के बाद उठाया है।
मिजोरम के गृह सचिव वनलालमाविया ने कहा कि राज्य सरकार पीएपी को लागू करने की दिशा में कदम उठा रही है। वनलालमाविया ने ऐजेंसी को बताया, हम पीएपी व्यवस्था लागू करने की प्रक्रिया में हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार लेंगपुई हवाई अड्डे पर एक होल्डिंग क्षेत्र की भी पहचान की जा रही है। वनलालमाविया के मुताबिक, राज्य सरकार ने केंद्र से विदेशियों के पंजीकरण को आसान बनाने के लिए मिजोरम की राजधानी आइजोल में एक निर्दिष्ट कार्यालय खोलने का भी आग्रह किया है।
गृह सचिव ने कहा कि यद्यपि पीएपी को अभी पूरी तरह से क्रियान्वित किया जाना बाकी है, फिर भी संबंधित अधिकारी और कानून प्रवर्तन एजेंसियां सतर्क बनी हुई हैं। पूरे अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को संरक्षित क्षेत्र के रूप में संदर्भित किया गया है।
केंद्र ने 2011 में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम में पीएपी व्यवस्था में ढील दी थी और अफगानिस्तानी, पाकिस्तानी और चीनी लोगों को छोड़कर सभी विदेशियों को पीएपी से छूट दी थी। इस छूट को बाद में समय-समय पर बढ़ाया गया और इसे दिसंबर 2027 तक वैध घोषित किया गया।
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गृह मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के कारण उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के बीच विदेशियों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल दिसंबर में मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड में पीएपी को फिर से लागू कर दिया था। मिजोरम के गृह सचिव वनलालमाविया के अनुसार राज्य सरकार पीएपी को लागू करने की दिशा में कदम उठा रही है।
( ऐजेंसी इनपुट के साथ )