
Delhi का मंदिर जिसकी मूर्ती पाकिस्तान से आई। (सौ. shribirlamandir)
Laxmi Narayan Mandir Brought From Pakistan: दिल्ली में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर मौजूद हैं, लेकिन लक्ष्मी नारायण भगवान को समर्पित छतरपुर क्षेत्र का मंदिर अपनी विरासत और अनोखी मूर्ति के कारण विशेष पहचान रखता है। यह मंदिर न सिर्फ वास्तुकला के लिहाज़ से अद्भुत है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक है। खास बात यह है कि यहां स्थापित मुख्य मूर्ति न तो दिल्ली में बनी और न ही भारत के किसी अन्य राज्य में, बल्कि इसका निर्माण पाकिस्तान में हुआ था। आइए इस मंदिर के इतिहास और विशेषताओं को विस्तार से समझते हैं।
साउथ दिल्ली के मालवीय नगर में स्थित यह सुंदर एवं भव्य मंदिर भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। सुबह-शाम की आरती के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के ट्रस्टी नरेंद्र चित्रा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि इस मंदिर की नींव 8 नवंबर 1955 को रखी गई थी। उन्होंने बताया कि यह मंदिर स्थानीय लोगों के सामूहिक प्रयासों से बनाया गया था।
वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर बेहद अनोखा है इसका ऊपरी हिस्सा बिरला मंदिर की शैली का प्रतीक है, जबकि निचला हिस्सा साउथ दिल्ली के पारंपरिक मंदिरों की डिज़ाइन को दर्शाता है। यही मिश्रित शैली इसे और भी आकर्षक बनाती है।
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित लक्ष्मी नारायण भगवान की मूर्ति है, जो इस पूरी परिसर की शान मानी जाती है। ट्रस्टी नरेंद्र चित्रा के अनुसार यह मूर्ति अन्य सभी मूर्तियों से काफी अलग और अत्यंत पुरानी है। यह मूर्ति पाकिस्तान के कराची में स्थित खुद्दी नामक गांव में तैयार की गई थी।
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भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान वहां के महंत इस मूर्ति को अपने साथ भारत लेकर आए और इसे इस मंदिर में स्थापित किया। विभाजन की उस ऐतिहासिक यात्रा के कारण यह मूर्ति धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत मूल्यवान मानी जाती है। परिसर में मौजूद अन्य मूर्तियां राजस्थान के जयपुर के कुशल कलाकारों द्वारा तराशी गई हैं।
भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मंदिर सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है। इसके बाद शाम 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए सबसे नज़दीकी मेट्रो स्टेशन मालवीय नगर है, जहां से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।






