
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Yavatmal Financial Scam: एक ओर नेता राजनीतिक धूल उड़ाते हुए नगर पालिका की सत्ता पाने के लिए मतदाताओं को आश्वासनों का लालच दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यवतमाल के आम मतदाता अपनी जीवन भर की कमाई विभिन्न वित्तीय संस्थाओं में फंस जाने से परेशान हैं। राजनीतिक सभाओं में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा गरमाया जा रहा है, लेकिन हकीकत में यवतमाल के सैकड़ों लोगों को वित्तीय संस्थाओं में हुई ‘नोट चोरी’ सता रही है। अब उनके इस दर्द पर कौन-सा राजनीतिक दिग्गज मरहम लगाएगा, इसी पर नगर पालिका और आगामी जिला परिषद चुनावों का गणित घूमने की संभावना है।
सामान्य मतदाताओं ने अपनी जीवन भर की जमा-पूंजी इन वित्तीय संस्थाओं में निवेश की थी। इनमें से कई संस्थाएं यवतमाल शहर में हैं, तो कुछ अन्य तहसील में स्थित हैं। कुछ संस्थाओं ने अधिक ब्याज का लालच देकर पैसा लिया और बाद में ताला लगा दिया। कुछ ने नियमों का पालन किए बिना कर्ज वितरण कर दिवालियापन की स्थिति पैदा कर दी।
कुछ संस्थाओं पर सहकारिता विभाग ने कार्रवाई की, तो कुछ पर सीधे रिजर्व बैंक ने लेन-देन पर रोक लगा दी। लेकिन इन सभी मामलों में यवतमाल शहर सहित जिले के आम लोगों का हक का पैसा अटक गया है। यवतमाल की बाबाजी दाते महिला बैंक के सैकड़ों-हजारों जमाकर्ता आज भी तड़प रहे हैं। बार-बार आंदोलन करने के बावजूद उन्हें पूरा पैसा नहीं मिला। अंततः सहकारिता विभाग ने जमाकर्ताओं को केवल 20 प्रतिशत राशि दी, जबकि करीब 80 प्रतिशत राशि अब भी अटकी हुई है।
खास बात यह है कि इस प्रकरण में कांग्रेस और भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि एक-दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ गए हैं। इसी तरह दिग्रस की जनसंघर्ष अर्बन निधि, नेर की अष्टविनायक सोसायटी जैसी बड़ी वित्तीय संस्थाओं में भी करोड़ों रुपये फंसे हुए हैं। अब ये हक का पैसा मतदाताओं को कौन दिलाएगा, इसी पर नगर पालिका और आगामी जिला परिषद चुनावों का गणित काफी हद तक निर्भर करेगा।
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महिला बैंक में पैसा फंसने से जमाकर्ता-मतदाता आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। जमाकर्ताओं का आरोप है कि इस घोटाले में आरोपी महिला थाने जाती है और थानेदार जमाकर्ताओं को ही बुलाकर परेशान करते हैं। कुछ दिन पहले ही जमाकर्ताओं ने पत्रकार परिषद में यह भूमिका रखी थी। इसके बाद कई घटनाक्रम हुए और अवधूतवाड़ी के वही थानेदार स्वयं एक रिश्वत प्रकरण में फंस गए। ऐसे में अब मतदाता-जमाकर्ताओं के पक्ष में चुनाव में कौन-सा उम्मीदवार खड़ा होता है, उसी पर मतगणना का गणित तय होने की संभावना है।






