अपराधियों को दिया मार्गदर्शन (सौजन्य-नवभारत)
Yavatmal Police: यवतमाल जिले में अपराध को रोकने और समाज में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से यवतमाल पुलिस अधीक्षक कुमार चिंता ने एक सराहनीय पहल की है। पुलिस विभाग अब उन लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहा है, जो कभी अपराध की राह पर चल पड़े थे। इसी के तहत कुल 279 अपराधियों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना तैयार की गई है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिले में कई ऐसे युवक हैं जो कभी परिस्थितिवश या गलत संगत में आकर अपराध में लिप्त हो गए थे। लेकिन अब वे अपनी जिंदगी सुधारना चाहते हैं। पुलिस ने ऐसे लोगों की सूची तैयार की है और उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए स्थानीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों, व्यापारियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
यवतमाल शहर, अवधूतवाडी, यवतमाल ग्रामीण और लोहारा पुलिस थाना क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले 82 अपराधियों को शनिवार को डिटेन कर पुलिस मुख्यालय में लाकर उनको मार्गदर्शन किया गया। वहीं उनसे एक शपथपत्र भी लिखवाकर लिया गया। इस योजना के तहत पुलिस विभाग ने उन 82 व्यक्तियों का चयन किया है, जिनका हाल के वर्षों में अपराधों में लिप्त होना पाया गया था, लेकिन अब वे सुधार की राह पर हैं।
इन लोगों को न केवल रोजगार दिलाया जाएगा, बल्कि कौशल विकास प्रशिक्षण, आत्मनिर्भरता की दिशा में मार्गदर्शन और समाज में पुनर्वास की भी व्यवस्था की जा रही है। यवतमाल पुलिस की यह पहल अब अन्य जिलों के लिए भी एक मॉडल प्रोजेक्ट बन सकती है।इस कदम से न केवल अपराध दर में कमी आएगी, बल्कि समाज में आपसी विश्वास और सहयोग का माहौल भी मजबूत होगा।
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इस समय अपर पुलिस अधीक्षक अशोक थोरात, एसडीपीओ दिनेश बैसाने, एलसीबी पुलिस निरीक्षक सतीश चावरे, यवतमाल शहर पुलिस निरीक्षक रामकृष्ण जाधव, यवतमाल ग्रामीण पुलिस निरीक्षक सुनील नाइक, लोहारा पुलिस निरीक्षक रोहित चौधरी, अवधूतवाडी पुलिस निरीक्षक नरेश रणधीर उपस्तिथ थे।
जिन 279 ‘हिस्ट्रीशीटरों’ की काउंसलिंग की गई, वे ज़िले के छह उप-विभागों के निवासी हैं। इनमें पुसद उप-विभाग के 57, दारव्हा के 42, वणी के 26, पांढरकवड़ा के 25 और उमरखेड़ उप-विभाग के 43 अपराधी शामिल थे। उल्लेखनीय है कि सबसे ज़्यादा 87 ‘हिस्ट्रीशीटर’ अकेले यवतमाल उप-विभाग से है।