गांव व शहर में राजनीतिक माहौल गर्माया (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal News: स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इसके साथ महाराष्ट्र में नए स्थानों, इमारतों और अन्य चुनाव संबंधी नियम भी प्रभावी हो गए हैं। इस बीच ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल पूरी तरह से गर्मा गया है।
कई मतदाता अब यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि उन्होंने पिछली बार नेताओं के बहकावे में आकर गलती कर दी। इस बार मतदान का अवसर न मिलने से वे निराश हैं। गांवों में सरपंच पद को लेकर गहमागहमी तेज है और मतदाता अब ऐसे कद्दावर उम्मीदवारों की तलाश में हैं जो उन्हें बेहतर नेतृत्व का भरोसा दे सकें।
जैसी तीखी बहस विधानसभा में महंगाई को लेकर होती है, वैसी ही चर्चा अब नागरिकों के बीच स्थानीय चुनावों को लेकर देखी जा रही है। जो लोग पहले राजनीति से दूरी बनाए हुए थे, वे भी अब नेताओं के समर्थन में सक्रिय नज़र आ रहे हैं। नागरिकों में यह चर्चा भी है कि कई नेता, जो युवावस्था में कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए, अब सत्ता के लालच में जनता के बीच बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। जिन मतदाताओं ने पहले इन नेताओं को सत्ता तक पहुंचाया था, वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
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चुनाव जीतने के बाद कई नेता खुद को भगवान समझने लगे हैं, जबकि आम जनता उनके व्यवहार से असंतुष्ट है। यही नेता अब उन्हीं मतदाताओं से यह कहकर सवाल कर रहे हैं कि, “तुमने मुझे वोट क्यों नहीं दिया?” इस पर नागरिकों में असंतोष और चर्चाओं का दौर जारी है। आज हालात ऐसे हैं कि अस्पताल में काम करने वाला व्यक्ति भी, जिसकी कार्यशैली बेहद धीमी है, वह भी अपनी तारीफ करने से नहीं चूक रहा है।