बैल को नहीं बचा पाया किसान (सौजन्य-नवभारत)
Yavatmal News: यवतमाल जिले के झरी जामणी संभाग में धैर्य, दया और मानवता की मिसाल पेश करने वाली यह घटना झरी जामणी तहसील के रूईकोट शिवार क्षेत्र में सामने आई। एक किसान ने अपनी जान की परवाह किए बिना बाघ के चंगुल में फंसे अपने बैल को बचाने के लिए दो घंटे तक संघर्ष किया। आखिरकार उसने वाघ को भगा तो दिया, लेकिन गंभीर रूप से घायल बैल की मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, मुकूटबन परिक्षेत्र के रूईकोट जंगल पट्टे में सिंचन तलाव के पास बुधवार सुबह को करीब आठ बजे यह हृदयविदारक घटना घटी। किसान गोविंदा श्यामराव कुचनकार अपने बैल के साथ खेत में काम कर रहा था। तभी अचानक झाड़ियों से एक बाघ आया। बाघ का खतरा देखते ही गोविंदा जान बचाने के लिए पास के पेड़ पर चढ़ गया, जबकि बाघ पेड़ के नीचे नजर लगाए बैठा रहा।
कुछ ही देर बाद उसने खेत के बांध पर चर रहे बैल पर झपट्टा मारा। पेड़ पर से यह दृश्य देखकर गोविंदा का कलेजा दहल गया। मगर उसने हिम्मत नहीं हारी। पेड़ से उतरकर उसने ड्रम और डब्बे जोर-जोर से बजाकर बाघ को डराने की कोशिश की। करीब दो घंटे चले इस संघर्ष के बाद आखिर बाघ पीछे हट गया। लेकिन तब तक बैल बाघ के नुकीले नाखूनों से गंभीर रूप से घायल हो चुका था।
ग्रामीणों की मदद से बैल को किसी तरह खेत के सुरक्षित हिस्से में लाया गया। वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा घटना की जानकारी मिलते ही वनविभाग मुकूटबन के क्षेत्र सहायक अधिकारी संजय माघाडे, वनरक्षक पी. आर. बुर्रेवार, एस. डब्ल्यू. जूनगरी तथा संरक्षण मजूर सुनिल पवार, मंगल टोंगे और दिवाकर सिडाम मौके पर पहुंचे।
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उन्होंने मौके का निरीक्षण किया और बैल को पशुचिकित्सा केंद्र ले जाने की सलाह दी, लेकिन पशुचिकित्सा केंद्र लाने तक बैल ने दम तोड़ दिया था। इस घटना से पूरे परिसर में भय का वातावरण व्याप्त हो गया है। नागरिकों ने तत्काल नुकसान भरपाई देने और वाघ के बंदोबस्त की माग शासन से की है।
किसान गोविंदा ने पेड़ पर से ही मोबाइल द्वारा घटना की जानकारी घरवालों को दी थी। जिसके बाद परिजन और नागरिक वन विभाग को सूचना देने कार्यालय गए, मगर सुबह 10 बजे तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। वनपाल, वनरक्षक और अन्य कर्मचारी लगभग 11 बजे घटनास्थल पर पहुंचे। तब तक बाघ जंगल की ओर लौट चुका था।