यवतमाल न्यूज
Yavatmal News: यवतमाल शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ऐसा आदेश पहुंचा है कि जिन स्कूलों में पांच से कम छात्र हैं, उन्हें तुरंत बंद किया जाए। इसके अलावा लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल न रखकर संयुक्त स्कूल बनाए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। जिले में ऐसे सौ से अधिक स्कूलों के घटने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार शिक्षकों के वेतन पर होने वाला खर्च कम करने के लिए अलग-अलग उपाय खोज रही है।
कभी समूह स्कूल का विकल्प आजमाया जाता है, तो कभी अनुमोदन में पदों को घटाने का प्रयास होता है। कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों का अन्यत्र विलय (मर्ज) करने के भी कई प्रयास हुए, लेकिन शिक्षक संघों के विरोध के चलते ये निर्णय बार-बार टलते रहे। अब इस विषय पर शिक्षण आयुक्त सचिंद्र प्रताप सिंह ने 7 अक्टूबर को सभी शिक्षा अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लेकर ऐसे स्कूलों को तुरंत बंद करने के निर्देश दिए।
इसके बाद अमरावती विभाग की उपसंचालक नीलिमा टाके ने 8 अक्टूबर को शिक्षा अधिकारियों और नगर परिषद मुख्य अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार, पांच से कम छात्रों वाले स्कूल तुरंत बंद किए जाएंगे। साथ ही, एक ही परिसर (कैंपस) में दो स्कूल होने पर उनमें से एक को बंद करके केवल एक स्कूल रखा जाएगा। किसी गांव में लड़कों और लड़कियों के दो अलग-अलग स्कूल होंगे तो उन्हें भी मिलाकर एक ही सहशिक्षा स्कूल बनाया जाएगा। इससे जिले में कई गांवों के स्कूलों की संख्या घटेगी।
जिला परिषद के अधीन 11 लड़कों के स्कूल और 12 लड़कियों के स्कूल हैं, जिनमें से आधे स्कूलों के बंद होने की संभावना है। वहीं, दुर्गम गांवों में जनसंख्या कम होने के कारण छात्रों की संख्या भी कम है, जिससे वहां के स्कूलों पर भी ताला लग सकता है। यवतमाल नगर परिषद क्षेत्र के गांधीनगर और वंजारी फैल भागों में एक ही परिसर में दो-दो स्कूल हैं और इसका अहवाल भी उपसंचालक को भेजा गया है।
हालांकि यहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, इसलिए इन स्कूलों का एकीकरण न किया जाए, ऐसी मांग उठी है। शिक्षण आयुक्त और उपसंचालक के इन आदेशों से जिला परिषद और नगर परिषद के शिक्षकों में हड़कंप मच गया है, वहीं शिक्षा प्रेमी नागरिकों में नाराजगी भी बढ़ी है।
एक ही परिसर में चल रहे स्कूलों को मिलाकर एक ही स्कूल बनाया जाए। शून्य पट (0 छात्र) और 1 से 5 छात्रों वाले स्कूल तुरंत बंद किए जाएं। बंद स्कूलों के विद्यार्थियों को निकटतम स्कूल में स्थानांतरित किया जाए। यदि जरूरत हो तो ऐसे विद्यार्थियों के लिए प्रति माह 600 रुपये का परिवहन भत्ता प्रस्तावित किया जाए। बंद स्कूलों का यूडायस नंबर रद्द करने का प्रस्ताव तत्काल भेजा जाए। अलग कन्या विद्यालयों को सहशिक्षा विद्यालयों में बदला जाए।
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इस आदेश के बाद अब किसी भी गांव में लड़कियों के अलग स्कूल नहीं रहेंगे। नई शिक्षा नीति के अनुसार सहशिक्षा (को-एजुकेशन) प्रणाली अब सख्ती से लागू की जाएगी, यानी लड़के और लड़कियां एक ही कक्षा में साथ बैठकर पढ़ाई करेंगे। यह कदम सकारात्मक माना जा रहा है, लेकिन इससे गांवों में स्कूलों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आएगी।
केवल 5 विद्यार्थियों के लिए दो शिक्षक रखना संभव नहीं है। हमारे यहां 30 सितंबर तक छात्र पंजीकरण किया जाता है। उसके बाद भी अगर किसी स्कूल में विद्यार्थी नहीं हैं, तो उसे जारी रखना उचित नहीं। भविष्य में यदि विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती है तो स्कूल पुनः खोले जाएंगे।
– नीलिमा टाके, उपसंचालक, शिक्षण विभाग, अमरावती
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