फर्जी प्रमाणपत्र (सौजन्य-सोशल मीडिया, कंसेप्ट फोटो)
Yavatmal News: यवतमाल जिला परिषद की नौकरी में विभिन्न लाभ लेने के लिए कई लोगों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र का इस्तेमाल करने की शिकायतें लंबे समय से सामने आ रही हैं। वर्षों तक इस मामले की शिकायतें की जाती रहीं। आखिरकार इस प्रकार की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब फर्जी दिव्यांग कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यवतमाल जिला परिषद में फर्जी दिव्यांग मामलों की राज्य दिव्यांग कल्याण विभाग ने गंभीरता से समीक्षा की है। इसी कारण दिव्यांग कल्याण विभाग ने 18 सितंबर को यवतमाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिखित आदेश जारी किए हैं। यहां सीईओ के प्रशासनिक नियंत्रण में शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्माण और विभिन्न विभागों के कर्मचारी, शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी कार्यरत हैं।
आदेश के अनुसार, जिन कर्मचारियों ने दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त की है, पदोन्नति पाई है या अन्य लाभ उठाए हैं, उनकी जांच की जानी चाहिए। जांच के बाद जिन कर्मचारियों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाएंगे, उन पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही जिनका दिव्यांगता प्रतिशत 40% से कम है और फिर भी वे दिव्यांग कर्मचारियों के लाभ ले रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होगी। उनके अब तक के लाभ वसूले जाएंगे।
जांच के अंत में केवल लाक्षणिक दिव्यांगता (बेंचमार्क डिसएबिलिटी) वाले कर्मचारियों को नियम के अनुसार लाभ दिए जाएंगे। ‘दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016’ में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार केवल वास्तविक दिव्यांग कर्मचारियों को लाभ मिलेंगे। विशेष रूप से शिक्षा विभाग में कई कर्मचारी फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के आधार पर लाभ ले रहे हैं, ऐसी शिकायतें बार-बार की गईं।
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इसके खिलाफ दिव्यांग कर्मचारी संगठन भी समय-समय पर आंदोलन कर रहा था, लेकिन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब राज्य स्तर से ही इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला परिषद को फर्जी दिव्यांगों की जांच के आदेश दिए गए हैं। इससे जिला परिषद में वास्तविक दिव्यांगों के स्थान पर बैठे कर्मचारियों की चिंता बढ़ गई है।
फर्जी दिव्यांग कर्मचारी हमारे लाभ ले रहे हैं, ऐसी शिकायतें वास्तविक दिव्यांग कर्मचारियों ने बार-बार की थीं। लेकिन प्रशासन में पॉलिटिक्स के कारण फर्जी दिव्यांग कर्मचारियों ने अब तक दबाव बना रखा था। अब राज्य स्तर से ही इस मामले को गंभीरता से देखा गया है। इसलिए जिला परिषद के दिव्यांग कर्मचारियों को अपने प्रमाणपत्र की प्रामाणिकता साबित करनी होगी। इसके लिए सीधे मुंबई के जे।जे। अस्पताल जाना पड़ेगा। हालांकि इससे न केवल फर्जी कर्मचारियों, बल्कि वास्तविक दिव्यांग कर्मचारियों को भी जांच का झंझट सहना पड़ेगा।
आदेश के अनुसार हमारे यहां के दिव्यांग कर्मचारियों की जांच मुंबई के जे.जे. अस्पताल द्वारा की जाएगी। इन कर्मचारियों को यवतमाल के मेडिकल बोर्ड से प्रमाणपत्र मिला है। इसलिए यवतमाल में ही उनकी जांच करना उचित नहीं होगा। इसीलिए यह जांच मुंबई से कराई जा रही है। इसके लिए अगले सप्ताह नियोजन किया जाएगा।
– प्रकाश मिश्रा, शिक्षा अधिकारी, यवतमाल