पक्की सड़क की मांग को लेकर किसानों ने शुरू की भूख हड़ताल
Chandrapur Farmers Strike: मारेगांव तहसील प्रशासन द्वारा कृषि उत्पादों के लिए मौजूदा सड़क को दुरुस्त करने में लगातार की जा रही लापरवाही से नाराज किसानों ने सोमवार से स्थानीय तहसील कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। सड़क की अनुपलब्धता के कारण लगभग 14 से अधिक परिवारों की सोयाबीन और कपास की फसलें अब भी खेतों में पड़ी हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और कई किसान भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि उन्हें आत्महत्या जैसा कठोर निर्णय लेने की नौबत आ गई है। वंचित बहुजन आघाड़ी के वणी विधानसभा प्रमुख राजू निमसटकर ने कहा कि पार्टी किसानों के साथ खड़ी है और जब तक न्याय नहीं मिलता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
कानून का समर्थन होने के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता पर किसानों ने नाराजगी जताई है। मारेगांव तालुका के देवाला निवासी किसान बापूजी देवालकर और संजय देवालकर सहित लगभग 14 परिवार कई दिनों से अपने खेतों तक जाने वाली सड़क की रुकावट से जूझ रहे हैं।
किसानों के अनुसार, उन्हें अपने खेतों तक पक्की सड़क का कानूनी अधिकार प्राप्त है। यह अधिकार महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता 1966 की धारा 143 और मेम्पेलदार न्यायालय अधिनियम 1906 की धारा 5 के तहत सुनिश्चित किया गया है। इन कानूनी प्रावधानों के आधार पर किसानों ने 15 अक्टूबर को मारेगांव तहसीलदार के पास अधिनियम 1906 की धारा 5 के अंतर्गत तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था।
आवेदन देने के बाद किसानों ने कई बार संबंधित अधिकारियों से मुलाकात की और अपनी शिकायतें दर्ज कराईं। उप तहसीलदार और मंडल अधिकारी ने मौके पर जाकर नक्शे के आधार पर सड़क का निरीक्षण भी किया था। उस दौरान यह पाया गया कि कुछ लोगों ने सड़क पर अतिक्रमण कर रास्ता बंद कर दिया था। स्पष्ट साक्ष्य और कानूनी समर्थन के बावजूद तहसील प्रशासन पर अनावेदकों का समर्थन करने और किसानों के पक्ष में कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया है।
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सड़क जाम होने के कारण किसान अपनी फसलें घर नहीं ला पा रहे हैं, जिससे कृषि उपज खेतों में ही खराब हो रही है। इस स्थिति से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों और आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि भूख हड़ताल के दौरान कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। वंचित बहुजन आघाड़ी ने घोषणा की है कि जब तक किसानों को उनका कानूनी अधिकार खेत तक पक्की सड़क नहीं मिल जाती, तब तक यह भूख हड़ताल जारी रहेगी।