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यवतमाल. मकरसंक्रांती त्यौहार के पार्श्वभूमी पर आकाश में पंतग उडने की परपंराए है. इस पंतग को उडाने के लिए उपयोग किया जानवेाला प्रतिबंधित चिनी व नायलॉन मांजा छूपे रूप में उपयोग किया जा रहा है.
जिस वजह से पक्षी, प्राणी समेत मानवी जीव को भी खतरा निर्माण हो रहा है. हाल ही जिले में प्रतिबंधित चिनी व नॉयलॉन के मांजा से दूर्घटना सामने आया है. उसके बावजूद भी शहर में खुले आम मांजा का प्रयोग कर आकाश में पंतगबाजी जोरों से हो रही है.
मकरसंक्रात त्यौहार आते ही शहर में पतंगबाजी का क्रेझ बढने लगता है. आकाश में विविध रंगों के पंत उंचाई से उडते है. बच्चों से लेकर बुजूर्ग तक इस पंतगबाजी में रंगे होते है. लेकिन शहर ओर गल्ली में हो रही पंतगबाजी कब दूर्घटनाओं को न्यौता देगा यह बता नही सकते है. इस मांजा से पिछले वर्ष दूर्घटना सामाने आयी थी.
वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करनेवाले एमएच ट्वेंटी 29 इस संस्था के रिर्पोट के अनुसर जिले में हरवर्ष नायलॉन मांजा से लगभग 200 से अधिक पक्षियों की मौत होती है ओर अनेक नागरिक घायाल होते है. हाल ही कुछ दिन पहले इसी नायलॉन मांजा में अटक ने शहर में एक शिक्रा जाती के पक्षि की मौत हूई थी. साथ ही एक कबूतर, सारस पक्षी पतंग के मांजे में अटक ने से गंभीर रूप से घायल हूआ है. जिले के पुसद तहसील में एक नागरिक के चहरे पर नॉयलॉन मांजा अटने से वह गंभीर रूप से घायल हुआ है.
नायलॉन मांजा पर प्रतिबंध लगाने के लिए एमएच 29 इस वन्यजीव संस्था ने पुलिस अधिक्षक दिलीप पाटील भुजबल को ज्ञापन सौपा है. उस ज्ञापन को गंभीरता से लेते हूए जिला पुलिस अधीक्षक ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया है. प्रतिबंधीत नायलॉन व चिनी मांजा बिकेताओं पर मुहिम चलाकर कार्रवाई करन के निर्देश देना का आश्वासन दिया है. ज्ञापन देते समय निलेश मेश्राम, सुरज खोब्रागडे, रोहित बोरकर, बॉबी बगमारे, मोरेश्वर मोरे समेत उपस्थित थे.
[blockquote content=”वन्यजीव विषय को लेकर एमएच 29 की टीम पिछले अनेक वर्षे से प्राकृतिक संगोपन व वन्यजीव रक्षण के लिए काम कर रही है. पतंग के नायलॉन मांजा से पशू पक्षियों के जान को बडा खतरा है. पिछले कुछ दिनों में ऐसी घटनाए सामने आयी है. जिस वजह से प्रशासन की ओ से जल्द से जल्द नॉयलान मांजा के बिक्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. ” pic=”” name=”निलेश मेश्राम, एमएच 29 वन्यजिव संस्था अध्यक्ष”]






