यवतमाल. जिले के कपास, चना और तुअर उत्पादक किसानों की मांगों पर सरकार की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. किसानों की मांगें पूरी नहीं होने पर यवतमाल जिला किसान संघर्ष समिति की ओर से 27 फरवरी से जिलेभर में आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है.
28 दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने तीन लाख कपास की गांठे आयात करने का निर्णय लिए जाने से कपास के बाजार भाव तीन हजार रुपयों से कम हो गए है. जिससे किसानों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. इस साल खरीफ मौसम किसानों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. इसी पार्श्वभूमि पर कपास को अच्छा दाम मिलने की उम्मीदें निर्माण हो गई थीं. तभी केंद्र सरकार ने ड्युटी फ्री कपास आयात का निर्णय लेने से देश में कपास के भाव धडाम से गिर गए है. उक्त निर्णय रद्द किया जाए.
इस वर्ष जिले में चने का रकबा बढ गया है. चना बाजार में बिक्री के लिए लाया जा रहा है. परंतु सरकारी समर्थनमूल्य भाव से बाजार दर कम रहने से किसानों को नुकसान सहन करना पड रहा है. चना खरीदी केंद्र सरकार ने तत्काल शुरू करने चाहिए. चना खरीदी की सीमा हेक्टेयर 25 क्विंटल करनी चाहिए सहित अन्य मांगें की गई है. मांगे पूरी नहीं होने पर समिति की ओर से जिलेभ्र में आंदोलन किया जाएगा.
निवेदन सौंपते समय किसान संघर्ष समिति के पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष प्रवीण देशमुख, कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष प्रफुल्ल मानकर, अशोक बोबडे, प्रा. घनश्याम दरणे, राम देवसरकर, अनिल हमदापुरे, मनोज जयस्वाल, नाना गाडबैले, सुरेश चिंचोलकर, अनिल गायकवाड, संजय परडखे, चंद्रशेखर चौधरी, विनोद खडसे, जावेद अंसारी, प्रा. बबलू देशमुख, आनंद जगताप, देवा शिवरामवार, प्रा. सुभाष गावंडे, सुकांत वंजारी, पल्लवी रामटेके, वैशाली सवाई, स्वाति येंडे, राजीव निलावार, मोहन भोयर, आशीष सोलंके, बालू पाटिल दरणे, वसंतराव घुईखेडकर, युवराज अर्मल आदि उपस्थित थे.