वाशिम में बर्ड फ्लू (सौजन्य-सोशल मीडिया)
वाशिम: जिले की कारंजा तहसील के खेर्डा (जीरापुरे) में एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू का संक्रमण पाया गया है। इस गांव में 6,831 मुर्गियों की मौत हो गई है। इस बारे में प्रशासन ने अलर्ट जारी कर नागरिकों के लिए आवश्यक सूचना दी है। मृत मुर्गियों के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे और इसमें संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिलाधिकारी भुवनेश्वरी एस. ने तत्काल निवारक उपायों को लागू करने का आदेश दिया है।
पोल्ट्री फार्म को साफ रखना और जैव सुरक्षा नियमों का पालन करना आवश्यक है। पक्षियों के संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित पोल्ट्री पक्षियों के परिवहन पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। यदि प्रवासी पक्षी, कौवे या अन्य जंगली पक्षी मृत पाए जाते हैं तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करना चाहिए और इस हेतु छिड़काव करना चाहिए। यह प्रक्रिया हर 15 दिन में तीन बार की जानी चाहिए। जिला पशुसंवर्धन अधिकारी डॉ. गणेश पवार और उपायुक्त डॉ. अरुण यादगिरे ने नागरिकों से सतर्क रहने और पशुसंवर्धन विभाग के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है।
इसी बीच राज्य सरकार ने विदर्भ में बर्ड फ्लू के खतरे को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। कुछ जगहों पर कौवों में एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि हुई। हालांकि, इंसानों में इसके संक्रमण की कोई पुष्टि नहीं हुई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने बताया कि सावधानी के तौर पर हमने प्रभावित इलाकों में चिकन की दुकानों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
विदर्भ क्षेत्र में बर्ड फ्लू (H5 N1 वायरस) का खतरा बढ़ गया है। 20 से 25 फरवरी के बीच पोल्ट्री फॉर्म में लगातार मुर्गियों की मौत होने लगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए मृत मुर्गियों के नमूने अकोला की प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए थे। बाद में पुणे स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान और भोपाल की प्रयोगशाला में भी नमूनों की विस्तृत जांच की गई।
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रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि ये मौतें बर्ड फ्लू के कारण हुई। इनमें एच5एन1 वायरस का संक्रमण पाया गया। पोल्ट्री फॉर्म से मुर्गियों की आवाजाही और बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। बर्ड फ्लू में आमतौर पर खांसी, गले में खराश, तेज बुखार, जुकाम, हड्डी और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।