मतदान के लिए बचा कम समय (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: बागियों को मनाने में सभी राजनीतिक दल कामयाब रहे। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि पर भाजपा समेत अन्य दलों के प्रमुख प्रत्याशियों ने अपने नामांकन वापस लिए। बागी माने तो गए, लेकिन पार्टी के लिए वे कितना काम करेंगे, यह समय पर स्पष्ट होगा।
वहीं, भाजपा के चुनाव प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने वर्धा में बैठक करके पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए चुनावी माहौल गर्म किया। सभी दलों के लिए यह चुनाव आसान नहीं है। नगर परिषद चुनाव में भाजपा से सीट मांगने वालों की संख्या अधिक रही। परिणामस्वरूप भाजपा में नाराजगी देखने को मिली।
वर्धा, हिंगनघाट, देवली, सिंदी, पुलगांव और आर्वी में सभी दलों में नाराजगी देखने को मिली। वर्धा में भाजपा की ओर से नगराध्यक्ष पद के लिए निलेश किटे का नाम फाइनल हुआ। वहीं, पार्टी से वर्षों से जुड़े प्रशांत बुर्ले ने बागी तेवर अपनाते हुए नामांकन दाखिल किया था।
राकां एसपी गुट से शैलेंद्र झाडे ने भी पर्चा भरा। मात्र बुर्ले और झाडे ने अपने पर्चे पीछे ले लिए। भाजपा की सीट नहीं मिलने के कारण नाराज पवन परियाल और अन्य कुछ कार्यकर्ताओं ने नामांकन भरे थे, जिनमें से कुछ ने अपने नामांकन वापस ले लिए। हालांकि, भाजपा छोड़कर अन्य पार्टी का दामन थामने वाले कार्यकर्ता अब भी मैदान में सक्रिय हैं।
कांग्रेस ने 17 प्रत्याशी कम उतारे हैं, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। राकां एसपी गुट की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। शिवसेना शिंदे गुट ने अंतिम समय पर भाजपा और अन्य दलों से आए व्यक्तियों को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस के शेखर शेंडे गुट को कम सीट मिलने के कारण नाराजगी है।
राकां एसपी गुट के समीर देशमुख की भूमिका को लेकर कांग्रेस में संदेह है, क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी सुधीर पांगुल इस कांबले गुट के माने जाते हैं। शेंडे और कांबले गुट में पहले ही काफी दरार होने के कारण इसका असर चुनाव पर पड़ने की संभावना है। भाजपा के नाराज गुट को संभालने का काम पालकमंत्री भोयर के कंधों पर है।
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वर्धा नगर परिषद का चुनाव उनके निर्वाचन क्षेत्र का होने के कारण उनके लिए प्रतिष्ठा का विषय है। शिवसेना शिंदे गुट, राकां अजीत पवार गुट और अन्य दलों को अपना अस्तित्व दिखाने के लिए पूरा जोर लगाना होगा। शिवसेना ने रविकांत बालपांडे को मैदान में उतारा है। बालपांडे विधानसभा के तीन चुनाव लड़ चुके हैं, जिससे शहर में उनकी पहचान है।
नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि बीतने के बाद चुनाव का चित्र स्पष्ट हो गया है। शनिवार को पालकमंत्री पंकज भोयर स्वयं प्रचार में उतरे। आने वाले दिनों में नगर परिषद चुनाव का प्रचार चरम पर पहुंचने वाला है। मतदान के लिए कम दिन बचे होने के कारण सभी दलों को चौकस रहना होगा।