वर्धा में बारिश का दृश्य (फोटो नवभारत)
Heavy Rains Cause Damage In Wardha: वर्धा जिले में इस साल मानसून ने तबाही मचा दी है। जून से 15 सितंबर के बीच आठ बार अतिवृष्टि दर्ज की गई। लगातार हुई भारी वर्षा से जिले में 420 मकान क्षतिग्रस्त हो गए, वहीं 8 लोगों की मौत हुई है। इस अवधि में छोटे-बड़े 56 पशुओं की भी जान गई। इसके अलावा 15 तबेले पूरी तरह नष्ट हो गए और हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं।
इस बार मानसून जिले में देरी से पहुंचा। किसानों ने खरीफ की बुआई भी देर से की। जून माह में बारिश बहुत कम हुई, लेकिन अंत में अचानक भारी वर्षा हुई। जुलाई और अगस्त में दो-दो बार अतिवृष्टि दर्ज की गई। सितंबर में भी तीन बार भारी वर्षा ने हालात बिगाड़ दिए। नदी-नाले उफान पर आ गए, गांवों और खेतों में पानी घुस गया। जलाशय भी भरकर बहने लगे और बाढ़ की स्थिति बनी।
जून से अगस्त तक हुए नुकसान का सर्वे प्रशासन ने कर लिया है और रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। इसी आधार पर सरकार से 7.73 करोड़ रुपये की राहत निधि जिले को प्राप्त हुई है। इससे 29,670 किसानों को मदद दी जाएगी, जिनकी 21,506 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं।
हालांकि, अब तक मृतकों के परिजनों, पशु हानि, मकान और तबेलों के नुकसान की भरपाई के लिए कोई अनुदान नहीं मिला है। सितंबर माह में हुए नुकसान का पंचनामा जारी है और रिपोर्ट जल्द भेजी जाएगी।
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भारी बारिश और बाढ़ का असर केवल फसल पर ही नहीं, बल्कि उपजाऊ जमीन पर भी हुआ। जून से अगस्त के बीच जिले के 323 किसानों की कुल 170.05 हेक्टेयर जमीन बह गई। जून में 8.05 हेक्टेयर, जुलाई में 148.1 हेक्टेयर और अगस्त में 13.9 हेक्टेयर जमीन बाढ़ के पानी से बह गई। इसके लिए प्रशासन ने सरकार से 71.68 लाख रुपये की अतिरिक्त राहत राशि की मांग की है।
जिला प्रशासन के मुताबिक फसल नुकसान की भरपाई की गई है, लेकिन मृतकों, पशु हानि और मकान क्षति के लिए अब तक निधि नहीं आई है। ऐसे में अनेक आपदा पीड़ित अभी भी राहत की प्रतीक्षा कर रहे हैं।