
1 साल से वेतन नहीं, परिवार पर आर्थिक संकट (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha District: वीरेंद्र केशव देवगिरकर पिछले 29 वर्षों से कारंजा तहसील कार्यालय में रोज़ंदारी चौकीदार के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें पहली बार 13 सितंबर 1996 को तत्कालीन तहसीलदार बावणे द्वारा इस पद पर नियुक्त किया गया था। उस समय उनका मासिक वेतन मात्र ₹570 था। वर्तमान में उन्हें ₹297 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है। शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों के दिनों का वेतन भी उन्हें नहीं मिलता।
22 नवंबर 1999 को तत्कालीन तहसीलदार ने वीरेंद्र को नौकरी से हटा दिया था। इसके बाद उन्होंने कामगार न्यायालय, नागपुर और औद्योगिक न्यायालय, नागपुर में शिकायत दर्ज कराई। अदालत ने 2005 में आदेश दिया कि वीरेंद्र को पुनः उसी पद पर बहाल किया जाए और नियुक्ति की तारीख से बकाया वेतन का भुगतान किया जाए। इसके बावजूद जिलाधिकारी और तहसीलदार ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। अदालत की अवमानना के चलते 2 मई 2006 को जिलाधिकारी वर्धा के खिलाफ ज़मानती वारंट जारी किया गया। इसके बाद ही वीरेंद्र को दोबारा नौकरी पर लिया गया।
हालांकि आज, वर्ष 2025 में भी, वीरेंद्र रोज़ंदारी कर्मचारी ही हैं। 29 वर्षों की सेवा के बावजूद उन्हें नियमित पद नहीं दिया गया है। वीरेंद्र का कहना है कि पिछले एक वर्ष से उन्हें वेतन नहीं मिला है। पत्नी और दो बेटियों के साथ जीवनयापन करना अब अत्यंत कठिन हो गया है। शिक्षा, दवाइयों और रोज़मर्रा के खर्च पूरे करना लगभग असंभव हो गया है।
“29 साल से चौकीदार की ड्यूटी निभा रहा हूं, लेकिन आज भी अस्थायी हूं। अब उम्र और शरीर दोनों साथ नहीं दे रहे। मेरे परिवार के पास कोई अन्य आय का साधन नहीं है,” वीरेंद्र देवगिरकर ने कहा।
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वीरेंद्र के माता-पिता का सपना था कि उनका बेटा तहसील कार्यालय में नियमित रूप से कार्यरत रहे, ताकि परिवार को स्थायी सहारा मिल सके। उन्होंने कई बार जिलाधिकारी को पत्र लिखे, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। लगातार अन्याय और अस्थिरता की चिंता में उनके पिता का निधन हो गया। बावजूद इसके, वीरेंद्र को अब तक न्याय नहीं मिला है।
वीरेंद्र ने जिलाधिकारी और राजस्व विभाग को कई बार निवेदन दिए, लेकिन आज तक उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। 29 वर्षों तक सेवा देने के बावजूद, उन्हें न तो नियमित पद मिला और न ही पर्याप्त वेतन। अब पूरा प्रशासनिक तंत्र इस सवाल के घेरे में है। क्या वीरेंद्र देवगिरकर को कभी न्याय मिलेगा? क्या 29 साल से विभाग की सेवा करने वाले इस चौकीदार को स्थायी पद और सम्मानजनक वेतन मिल पाएगा?






