
छात्रों व नागरिकों ने किया चक्का जाम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Sawadoh Bridge Protest: कारंजा-माणिकवाडा रोड पर सावडोह गांव के पास खड़क नदी पर बना पुल अत्यंत नीची ऊंचाई का है। इस पुल की ऊंचाई बढ़ाने की मांग पिछले तीन दशकों से की जा रही है। बारिश शुरू होते ही पुल पर नदी का पानी चढ़ जाने से पांच से छह गांवों का कारंजा शहर से संपर्क पूरी तरह टूट जाता है।
पुल की समस्या को लेकर शुक्रवार को विद्यार्थियों और ग्रामीणों ने चक्का जाम आंदोलन किया। आंदोलन का नेतृत्व शिवसेना ने किया। बारिश के मौसम में पुल के ऊपर पानी रहने से विद्यालय जाने वाले विद्यार्थियों, किसानों, कर्मचारियों और आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रात के समय 10-11 बजे तक बसें नदी किनारे फंसी रहती हैं, क्योंकि आगे का मार्ग बंद हो जाता है।
कारंजा क्षेत्र शिक्षा का प्रमुख केंद्र होने के कारण नर्सरी से लेकर महाविद्यालय तक के अनेक विद्यार्थी प्रतिदिन इसी मार्ग से आवागमन करते हैं। पुल की मरम्मत और ऊंचाई न बढ़ने के कारण उनका शिक्षण प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा, बारिश के दौरान समय पर स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने से कई बार जानमाल का नुकसान भी हुआ है।
सावडोह, खापरी, बेलगांव, सुसुंद्रा, माणिकवाडा और साहूर ग्राम पंचायतों ने पुल निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित किए थे। दो वर्ष पूर्व भी इसी मांग को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था। इसके बाद तत्कालीन विधायक दादाराव केचे ने पुल को मंजूरी दिलाई और भूमिपूजन भी किया गया। हालांकि, मंजूरी मिलने के डेढ़ वर्ष बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ।
इसी के विरोध में विद्यार्थियों, नागरिकों और शिवसेना के उपजिला प्रमुख संदीप भिसे के नेतृत्व में शुक्रवार सुबह 9 बजे चक्का जाम शुरू किया गया। दोपहर करीब ढाई बजे तक इस मार्ग पर पूरी तरह यातायात ठप रहा। पुलिस और लोकनिर्माण विभाग (PWD) के हस्तक्षेप के बाद आंदोलनकारियों से चर्चा की गई। प्रशासन ने 20 तारीख से पुल निर्माण कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद आंदोलन स्थगित किया गया। आंदोलन में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, नागरिक और शिवसैनिक शामिल हुए।
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बेलगांव के सरपंच स्वप्निल खतशी ने कहा कि प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई न होने के कारण आंदोलन करना पड़ा। उन्होंने बताया, “खड़क नदी पर पुल की ऊंचाई बढ़ाने के लिए हम पिछले 30 वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। दो वर्ष पहले भी हमने चक्का जाम किया था। उस समय विधायक दादाराव केचे ने पुल को मंजूरी दिलाई और निर्माण ठेका भी दिया गया, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ। PWD को कई बार पत्र भेजे गए, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए मजबूरन आंदोलन करना पड़ा।”






