UBT नेता अंबादास दानवे
UBT Leader Ambadas Danve: विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि दोनों शिवसेना को एक हो जाना चाहिए। उन्होंने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में हुई बगावत के बाद पार्टी के दो हिस्सों में बंटने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। लेकिन अपने कार्यकाल के समापन के समय दिए गए उक्त बयान के कारण दानवे शक के घेरे में आ गए हैं। ऐसी अटकले लगाई जा रही हैं कि दानवे भी अब पाला बदलकर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, दानवे ने संस्कृति की लोकोक्ति “संघे शक्ति कलियुगे” (कलियुग में एकता में बल है) का संदर्भ देते हुए कहा है कि हम सत्ता के लिए पैदा नहीं हुए हैं। सत्ता आती-जाती रहती है। लेकिन संगठन की एकता ही सबसे बड़ी ताकत है। शिवसेना के विभाजन पर व्यथित होते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी को किसी की नजर लग गई। इसलिए संगठन बिखर गया। यह जख्म, यह घाव भरना चाहिए। सभी शिवसैनिकों को एक साथ आना चाहिए।
अंबादास दानवे का विधान परिषद का कार्यकाल 15 अगस्त को समाप्त हो रहा है। इसलिए विधानमंडल के मानसून सत्र के समापन से पहले विधान परिषद हॉल में दानवे का विदाई समारोह आयोजित किया गया था। समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजीत पवार, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित राज्य के तमाम मंत्री और विधायक उपस्थित थे। अब यूबीटी के विधायकों के संख्या बल के हिसाब से फिलहाल दानवे के लिए पुन: विधान परिषद में जाना संभव नहीं है। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि दोबारा विधान परिषद में जाने की चाह में उन्होंने दोनों शिवसेना के एक होने का राग छेड़ा है।
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शिवसेना में साल 2022 में बड़ा राजनीतिक भूचाल आया था, जब एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर अलग गुट बना लिया था। इसके बाद शिंदे बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हो गए और अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। दानवे ने कहा कि राजनीतिक बदलाव होते रहते हैं, लेकिन वैचारिक एकता और मूल संगठन की भावना बनी रहनी चाहिए।
दानवे ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में हो, यह उनकी व्यक्तिगत भावना है लेकिन उससे भी ऊपर संगठन की मजबूती है। उन्होंने कहा, “एक शिवसैनिक होने के नाते मैं चाहता हूं कि शिवसेना फिर से एक मजबूत और संगठित पार्टी के रूप में उभरे। एकता की उम्मीद करना कोई गलती नहीं है।”