
(फोटो सोर्स सोशल मीडिया)
मुंबई : आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गोरेगांव विधानसभा चुनाव में भी सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। सभी प्रत्याशी अपने-अपने जीत के दावे के साथ चुनाव प्रचार में ताल ठोक रहे है। माना जा रहा है कि चुनाव में यहां शिवसेना (यूबीटी) प्रत्याशी का खेल मनसे बिगाड़ सकती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जब सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही थी तो मनसे ने शिवसेना प्रत्याशी को लगभग 5 हजार मतों से करारी शिकस्त दी थी।
इस विधानसभा सीट पर 2014 से भाजपा विधायक विद्या ठाकुर का कब्जा है और आज भी उनका जनाधार बरकरार है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महायुति को यहां से 23,742 मतों की बढ़त मिली थी।
इस बार विधानसभा चुनाव में वर्तमान विधायक विद्या ठाकुर को भाजपा ने तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरने का मौका दिया है।वहीं दूसरी और मविआ में शामिल शिवसेना (यूबीटी) ने समीर देसाई को प्रत्याशी बनाया है। मनसे की तरफ से विरेंद्र विजय जाधव और बसपा से अमोल सावंत भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इस सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। महायुति की प्रत्याशी विद्या ठाकुर यूबीटी प्रत्याशी देसाई के सामने कड़ी चुनौती पेश कर रही हैं।
समीर देसाई पहले कट्टर भाजपा कार्यकर्ता हुआ करते थे। कांग्रेस में जाने के बाद उन्हें गोरेगांव से नगरसेवक का टिकट मिला और वे विजयी हो गए थे। आघाड़ी में सीट बंटवारे में गोरेगांव विधानसभा सीट यूबीटी के पास आ गई तो वे यूबीटी में आ गए। यूबीटी में प्रवेश के बाद उन्होंने यहीं से टिकट पाने की दावेदारी पेश थी। यूबीटी ने देसाई को विद्या ठाकुर के सामने उतारा है। देसाई पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे है और उन्हें कड़ी चुनौती का सामना भी करना पड़ रहा है।
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गोरेगांव विधानसभा में 2014 से भाजपा की विधायक विद्या ठाकुर का कब्जा है। वे लगातार दो बार यहां से जीत हासिल कर चुकी हैं उन्होंने क्षेत्र में अनेक विकास के काम भी किए हैं। 2014 के मुकाबले की बात करें तो भाजपा की विद्या ठाकुर और शिवसेना के सुभाष देसाई में कड़ी टक्कर हुई थी। उन चुनावों में 63,629 वोट पाने वाली विद्या ने 58,873 वोट हासिल करने वाले सुभाष को लगभग 5 हजार वोटों से मात दी थी। तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार गणेश म्हासना कांबले रहे थे, जिन्हें 18,414 वोट मिले थे। एक तरह से कहा जाए तो गोरेगांव विधानसभा शिवसेना का गढ़ था और शिवसेना-भाजपा जब अलग-अलग चुनाव लड़े थे तो भाजपा शिवसेना से किला छीनने में कामयाब हो गई थी।
गोरेगांव विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 2,92,802 है, जिसमें 38 प्रतिशत मराठी, 30 प्रतिशत उत्तर भारतीय, 15 प्रतिशत मुस्लिम, 12 प्रतिशत कोली, 15 प्रतिशत गुजराती और अन्य समुदाय के लोग शामिल हैं। विधानसभा चुनाव में यहां मराठी वोटर निर्णायक भूमिका में है। गोरेगांव में 2019 के चुनाव मनसे को 26,689 वोट मिले थे। इस बार भी मनसे चुनावी मैदान में उतरी है, ऐसे में मराठी मतदाताओं का धुवीकरण होने की संभावना अधिक दिख रही है। यदि हर बार की तरह इस बार भी मराठी वोटों का बंटवारा हुआ तो महायुति को फायदा मिल सकता है।






