विस्थापित गांवों के पुराने नाम बहाल (pic credit; social media)
Old names of displaced villages Restored: नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना के कारण विस्थापित हुए गांवों की पुरानी पहचान अब बहाल कर दी गई है। सिडको ने पहले इन गांवों को R-1, R-2, R-3 जैसे नए नाम दिए थे, जिससे उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान मिट रही थी। ग्रामीणों और दहा गांव समिति के लंबे प्रयासों के बाद, सिडको ने अब सेक्टर R-1 को ‘चिंचपाड़ा सेक्टर R-1’, R-2 को ‘चिंचपाड़ा सेक्टर R-2’, R-3 को ‘चिंचंडा और कोल्ही सेक्टर R-3’, R-4 को ‘कोपर सेक्टर R-4’, R-5 को ‘वाघिवली वाडा सेक्टर R-5’, सेक्टर 1 को ‘वरचे ओवले सेक्टर 1’, सेक्टर 24 को ‘उलवे सेक्टर 24’, सेक्टर 25 को ‘तारघर और कोंबडभुजे सेक्टर 25’, सेक्टर 26 को ‘वापिवली सेक्टर 26’ तथा सेक्टर 13 को ‘हुंगी सेक्टर 3’ के नाम से जाना जाएगा।
इस निर्णय में उरण के विधायक महेश बालदी और पनवेल के विधायक प्रशांत ठाकुर का सक्रिय समर्थन रहा। विस्थापित गांवों के नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए खुशी जताई और कहा कि अब उनकी परंपरा, इतिहास और स्वाभिमान सुरक्षित रहेगा। ग्रामीणों के अनुसार, पहले सिडको द्वारा भूखंडों के नाम बदलने के कारण कई लोग भ्रमित थे और गांव की असली पहचान खो गई थी।
सिडको ने नवी मुंबई हवाई अड्डा परियोजना के तहत चिंचपाडा, कोल्ही, कोपर, वाघिवली वाडा, वरचे ओवले, कोंबडभुजे, तारघर, गणेशपुरी और उलवे जैसे क्षेत्रों को R-1, R-2, R-3 जैसे नए नाम दिए थे। अब यह नाम वापस अपने मूल रूप में आ गए हैं, जिससे ग्रामीणों को गर्व महसूस हो रहा है।
समीर मदन केणी, पंचायत समिति अध्यक्ष, वडपर मंडल भाजपा ने कहा, “आज हमारे गांव के पुनर्वास के बाद भी उसे उसके मूल नाम से ही जाना जाएगा। यह हमारे लिए गर्व और खुशी का क्षण है।” रूपेश धूमल, अध्यक्ष पनवेल तालुका पश्चिम मंडल ने भी कहा कि यह निर्णय हमारे क्षेत्र की संस्कृति और इतिहास के प्रति सम्मान दर्शाता है।
इस फैसले से न केवल गांवों की सांस्कृतिक पहचान बनी रहेगी, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह एक गौरवपूर्ण धरोहर साबित होगी।