भिवंडी में झोलाछाप डॉक्टर गिरफ्तार (pic credit; social media)
Fake doctors in Bhiwandi: भिवंडी की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में इलाज के नाम पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों पर आखिरकार गाज गिर ही गई। भिवंडी महानगर पालिका की टीम ने कार्रवाई करते हुए तीन नकली डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इन आरोपियों के पास या तो फर्जी डिग्रियां थीं या फिर कोई मेडिकल सर्टिफिकेट ही नहीं था।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप गाडेकर ने बताया कि यह कार्रवाई नागांव क्षेत्र के ज्योत्सना नगर, आजाद नगर और नूरी नगर डोंगरपाड़ा में की गई। ज्योत्सना नगर में स्थित भक्तिसागर बिल्डिंग में भीमराव ज्ञानबा कवाडे नामक व्यक्ति मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाकर क्लीनिक चला रहा था। जांच में पता चला कि उसकी एनईएचएन डिग्री का प्रमाण पत्र पूरी तरह से अवैध है।
दूसरा मामला आजाद नगर का है, जहां मोहम्मद शमीम सिद्दीकी अपने “सिद्दीकी क्लीनिक” के नाम से औषधालय चला रहा था। जब अधिकारियों ने उसके दस्तावेज मांगे तो पाया गया कि उसकी योग्यता भी संदिग्ध है। इसके बावजूद वह मरीजों को दवाइयां लिख रहा था और इलाज कर रहा था।
तीसरा झोलाछाप मोहम्मद अयूब मोहम्मद हनीफ नूरी नगर डोंगरपाड़ा में क्लीनिक चला रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि उसके पास कोई भी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं था। यानी बिना किसी डिग्री और योग्यता के वह लोगों का इलाज कर रहा था।
इन तीनों के खिलाफ शांतिनगर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टर गरीब और अनपढ़ लोगों को आसानी से बेवकूफ बनाकर न केवल उनका पैसा लूटते हैं बल्कि उनकी सेहत और जान को भी गंभीर खतरे में डालते हैं।
डॉ. गाडेकर ने साफ कहा कि भिवंडी में किसी भी कीमत पर झोलाछाप डॉक्टरों को क्लीनिक चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने आम नागरिकों से अपील की है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों के झांसे में न आएं और संदेहास्पद लोगों की तुरंत सूचना महानगर पालिका या पुलिस को दें।
इस कार्रवाई से भिवंडी में मरीजों को बड़ी राहत मिली है। वहीं, सवाल यह भी उठ रहा है कि लंबे समय से ये लोग खुलेआम क्लीनिक कैसे चला रहे थे और किसकी शह पर इतना बड़ा खेल चल रहा था। अब पुलिस की जांच से ही साफ होगा कि इनके पीछे और कौन-कौन शामिल है।