उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व मंत्री गणेश नाईक (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन वाली महाराष्ट्र की महायुति सरकार में रोज नया झमेला सामने आ रहा है। महायुति में पालकमंत्री पद को लेकर जारी घमासान के कारण उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाराज होने की चर्चा पहले से ही चल रही है। उस पर अब ठाणे जिले को लेकर बीजेपी और डीसीएम शिंदे के बीच ठनने की नौबत खड़ी हो गई है।
नासिक और रायगड जिले के पालकमंत्री पद पर चल रही रार के बीच बीजेपी नेता गणेश नाईक के ठाणे जिले में जनता दरबार लगाने की तैयारी कर ली है। इससे शिंदे और भड़क गए हैं। उन्हें लगने लगा है कि महायुति और ठाणे जिले में बीजेपी उनका कद घटाने तथा अजित पवार का कद बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नाराज होने की चर्चा एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। नासिक और रायगड जिले के पालकमंत्री पद पर निर्णय में हो रही देरी की वजह से शिंदे पहले से ही नाराज हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात और चर्चा के बाद भी पालकमंत्री विवाद हल नहीं हो सकी है। उस पर बीजेपी अब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उन्हीं के गढ़ में चुनौती देकर भड़काने की कोशिश कर रही है।
ऐसी चर्चा शिंदे के गढ़ ठाणे में गणेश नाईक के जनता दरबार लगाने के ऐलान के बाद चल रही है। बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने नाईक के निर्णय का समर्थन करके आग में घी डालने का काम किया है।
सूत्रों का दावा है कि पालकमंत्री पद को लेकर नाराज शिंदे पिछली बार अपने गांव दरे चले गए थे। लेकिन इस बार उन्होंने कैबिनेट बैठक प्रत्यक्ष न जाकर अपनी नाराजगी व्यक्त करने की कोशिश की। मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली कैबिनेट की बैठक में शिंदे ने ऑनलाइन हाजिरी लगाकर खानापूर्ति करने का काम किया।
पालकमंत्री पद और गणेश नाईक के जनता दरबार पर वैसे तो डिप्टी सीएम शिंदे ने खुद कुछ नहीं कहा है लेकिन उनकी शिवसेना के सहयोगी नेता खुल कर मोर्चा संभाले हुए हैं। पालकमंत्री पद को लेकर शिंदे के मंत्री भरत गोगावले एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद सुनील तटकरे पर सीधा हमला बोल रहे हैं तो वहीं गणेश नाईक जनता दरबार पर शिंदे के सांसद नरेश म्हस्के ने मोर्चा संभाल लिया है।
सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि हम विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक महायुति के रूप में लड़े हैं और हम स्थानीय निकाय चुनाव भी महायुति के रूप में ही लड़ना चाहते हैं। लेकिन यदि कोई अकेले भी लड़ना चाहे तो हम तैयार हैं। हमने ठाणे में 25 साल तक सत्ता संभाली है।
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शिवसेना सांसद ने कहा कि किसी को भी महायुति पर दरार डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कार्यकर्ताओं को समझाना पार्टी के नेता की जिम्मेदारी होती है। यदि पालघर के पालक मंत्री ठाणे में जनता दरबार कर रहे होंगे, तो हमारे मंत्री भी पालघर में जनता दरबार करेंगे। वैसे जनता दरबार से कुछ खास नहीं होगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार का मंत्री पूरे राज्य का मंत्री होता है। वह किसी भी जिले में जाकर जनता दरबार लगा सकता है। किसी भी जिले में जाकर काम कर सकता है। बावनकुले ने कहा कि मैं राजस्व मंत्री हूं इसलिए राज्य के किसी भी जिले में जाकर काम कर सकता हूं। इसमें कोई रोक नहीं सकता है। आखिरकार मंत्रियों के जनता दरबार से भला किसका होगा, जनता का ही ना? जिले को लाभ मिलेगा। लोगों की समस्या ही हल होगी।