कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) से इस बारे में रिपोर्ट देने को कहा कि क्या महाराष्ट्र के माथेरान में मिट्टी के कटाव से बचने के लिए सड़कों पर ‘पेवर ब्लॉक’ बिछाना जरूरी है। अदालत ने राज्य सरकार को आवश्यक व्यवस्था करने और निरीक्षण के लिए नीरी विशेषज्ञों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
मुंबई से करीब 83 किलोमीटर दूर रायगड जिले में स्थित पर्वतीय पर्यटन स्थल माथेरान में वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने माथेरान की मिट्टी की सड़कों पर ‘पेवर ब्लॉक’ बिछाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि यह कवायद माथेरान में वाहनों की आवाजाही के लिए की गई है। मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए इसको जरूरी बताते हुए राज्य की तरफ से पेश वकील ने कहा कि कंक्रीट के ‘पेवर ब्लॉक’ की जगह मिट्टी के ‘पेवर ब्लॉक’ बिछाने के निर्णय पर विचार किया जा रहा है।
पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि यह उचित होगा कि नीरी इस मुद्दे की जांच करे और 4 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। पीठ ने नीरी से कुछ पहलुओं पर गौर करने को कहा कि क्या मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए ‘पेवर ब्लॉक’ लगाना आवश्यक है अथवा इसके अलावा कोई अन्य विकल्प भी तलाशा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि इससे पहले उसने परीक्षण आधार पर माथेरान में केवल हाथ रिक्शा चलाने वालों के पुनर्वास के उद्देश्य से ई-रिक्शा के उपयोग की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी इस टिप्पणी का भी उल्लेख किया कि वर्तमान युग में हाथ रिक्शा को अनुमति देना मानवाधिकारों के विरुद्ध है।
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अप्रैल 2024 में न्यायालय ने अगले आदेश तक माथेरान में ई-रिक्शा की संख्या 20 तक सीमित कर दी। मामले में कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत में आरोप लगाया कि ई-रिक्शा मूल हाथ-रिक्शा चालकों को नहीं, बल्कि होटल मालिकों व अन्य को आवंटित किए गए थे।
(एजेंसी इनपुट के साथ)