भाजपा के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार
नागपुर : भाजपा के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया जिसके चलते उनके नाराज चलने की चर्चा जोरों पर है। हालांकि उन्होंने नाराजगी से इनकार करते हुए पार्टी द्वारा दी गई हर जिम्मेदारी को निभाने की बात कही है। शीत सत्र के पहले ही दिन केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से उन्होंने मुलाकात की। इसे भी उन्हें मंत्री नहीं बनाने के निर्णय से जोड़ा जा रहा है। लेकिन वह अपनी सफाई कुछ अलग तरीके से दे रहे हैं।
पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने एक चैनल से चर्चा के दौरान यह भी कहा-
मैं मंत्रिमंडल में नहीं रहूंगा, यह किसी ने बताया नहीं था। मुझे सीएम देवेन्द्र फडणवीस व प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया था कि मंत्रिमंडल में आप हो, लेकिन शपथ ग्रहण के समय तक उन्हें फोन नहीं आया। अब पार्टी क्या नई जिम्मेदारी देती है, मैं उसका इंतजार कर रहा हूं।
भाजपा के वरिष्ठ विधायक व पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार
इसलिए नहीं पहुंचे विधानसभा
मुनगंटीवार शीत सत्र के पहले दिन विधानसभा नहीं पहुंचे जिसके चलते उनकी नाराजी की अटकलों ने जोर पकड़ लिया था। उन्होंने कहा कि मैं नाराज नहीं हूं। पार्टी ने जो आदेश दिया, जवाबदारी दी उसका मैंने पालन किया है। मुझे मालूम है कि अगर मैं विधानसभा में आता तो अनेक लोग अनेक प्रश्न पूछते। उनका उत्तर देने की बजाय मौन सर्वोत्तम है। मैं मानता हूं कि श्रद्धा व सबुरी रखना चाहिए। संगठन के नये आदेश की राह देख रहा हूं। भाजपा के लिए जी-जान लगाकर काम किया है। मैं नाराज क्यों होऊंगा। विधायक रहा, मंत्री पद मिला और मैंने निष्ठा से कार्य किया। सभागृह में आज कोई कामकाज नहीं था, अब कुछ काम नहीं है। अधिवेशन में औचित्य के मुद्दे उपस्थित करेंगे। मुझे मंत्रिमंडल में जिसने नहीं लिया वही उत्तर दे सकता है, मैं कुछ नहीं कह सकता।
गडकरी मेरे गुरु हैं इसलिए आज उनसे मुलाकात की, ऐसा कहते हुए मुनगंटीवार ने बेहद दार्शनिक अंदाज में आगे कहा कि मुझे बताया गया कि कैबिनेट में मेरा नाम नहीं है। लेकिन मैं आज भले ही मंत्री नहीं हूं। फिर भी मेरे परेशान होने की कोई वजह नहीं है, क्योंकि मैं जानता हूं कि जो आज हमारे पास है, वह कल चला जाएगा और जो आज हमारे पास नहीं है वह कल आ आएगा।
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हालांकि ऐसा कहने के बावजूद वह अपना आक्रोश छिपा नहीं पाए। उन्होंने किशोर जोगरेवार, गणेश नाईक का उदाहरण देते हुए कहा कि जिनके बेटे चुनाव लड़ने के लिए दूसरी पार्टी में चले गए, उन्हें मंत्री पद दिया गया। जबकि कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले फडणवीस और बावनकुले ने कहा था कि मेरा नाम मंत्रियों की सूची में है, लेकिन बाद में मुझे मंत्री पद नहीं मिला।