सुधीर मुनगंटीवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: फडणवीस कैबिनेट 3.0 में जगह नहीं पाने वाले महायुति के नाराज विधायकों को मनाना महायुति के प्रमुख नेताओं के लिए जंजाल बन गया है। रविवार को हुए कैबिनेट विस्तार का साइड इफेक्ट सोमवार को देखने को मिला। बीजेपी के पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समर्थक विधायक रवि राणा सहित कई अन्य प्रमुख नेता नागपुर में हो रहे शीतकालीन सत्र के पहले दिन नदारद रहे। सूत्रों का दावा है कि अनअपेक्षित रूप से मंत्री पद से नाम कटने के कारण नाराज मुनगंटीवार शिकायत लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के दरबार में पहुंच गए।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली नवगठित महायुति सरकार के रविवार को हुए के मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी के दो बड़े नेताओं पूर्व मंत्री व विधायक रविंद्र चव्हाण एवं सुधीर मुनगंटीवार को मंत्री पद नहीं मिला। इनमें चव्हाण को बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
कहा जा रहा है कि उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन मुनगंटीवार की कटिंग लोगों के लिए पहेली बन गई है। मुनगंटीवार का क्या होगा, यह सवाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा। तो वहीं इस सवाल का जवाब जानने के लिए खुद मुनगंटीवार, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलने पहुंच गए। वहां दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा हुई।
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गडकरी मेरे गुरु हैं इसलिए आज उनसे मुलाकात की, ऐसा कहते हुए मुनगंटीवार ने बेहद दार्शनिक अंदाज में आगे कहा कि मुझे बताया गया कि कैबिनेट में मेरा नाम नहीं है। लेकिन मैं आज भले ही मंत्री नहीं हूं। फिर भी मेरे परेशान होने की कोई वजह नहीं है। क्योंकि मैं जानता हूं कि जो आज हमारे पास है, वह कल चला जाएगा और जो आज हमारे पास नहीं है वह कल आ आएगा।
हालांकि ऐसा कहने के बावजूद वह अपना आक्रोश छिपा नहीं पाए। उन्होंने किशोर जोगरेवार, गणेश नाईक का उदाहरण देते हुए कहा कि जिनके बेटे चुनाव लड़ने के लिए दूसरी पार्टी में चले गए, उन्हें मंत्री पद दिया गया। जबकि कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले फडणवीस और बावनकुले ने कहा था कि मेरा नाम मंत्रियों की सूची में है, लेकिन बाद में मुझे मंत्री पद नहीं मिला।
अपने साथ मंत्रिमंडल विस्तार पर विस्तृत चर्चा किए जाने के मुख्यमंत्री फडणवीस के दावे को भी मुनगंटीवार ने सिरे से खारिज कर दिया। इतना ही नहीं मुनगंटीवार सोमवार को नागपुर में रहने के बाद भी शीतकालीन सत्र के पहले दिन अनुपस्थित रहे।