मोहोल रेलवे स्टेशन पर सिद्धेश्वर एक्सप्रेस का ठहराव मंजूर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mohol: लंबे संघर्ष, अथक प्रयास और जनता के धैर्य के बाद आखिरकार मोहोल रेलवे स्टेशन पर सिद्धेश्वर एक्सप्रेस का ठहराव मंजूर हो गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय ने न केवल नागरिकों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है, बल्कि मोहोलके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में भी नई ऊर्जा का संचार कर दिया है। कोरोना महामारी से पहले अधिकांश रेलगाड़ियाँ मोहोलमें ठहरती थीं। लेकिन महामारी के बाद अचानक यह सुविधा बंद कर दी गई। मोहोल जैसे महत्वपूर्ण तालुका मुख्यालय से ठहराव समाप्त हो जाने से यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। छात्रों, नौकरीपेशा वर्ग, व्यापारियों और मरीजों को प्रतिदिन सोलापुर या कुर्डुवाड़ी तक भटकना पड़ता था।
पिछले पाँच वर्षों से नागरिकों ने इस ठहराव की पुनर्बहाली के लिए अनेक आंदोलन किए। रेलवे विभाग को ज्ञापन सौंपे गए, बैठकों का आयोजन किया गया, सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किए गए। लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला। इस संघर्ष में कई बार ऐसा भी क्षण आया जब लोगों ने आशा छोड़ दी थी, लेकिन मोहोलके नागरिकों ने हार मानना स्वीकार नहीं किया।
मोहोल रेलवे स्टेशन पर ठहराव की माँग को लेकर स्थानीय संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक नेताओं ने भी गंभीर पहल की। केंद्रीय नागरी उड्डयन मंत्री मुरलीधर मोहोल, राज्यसभा सांसद धनंजय महाडिक, सांसद प्रणिती शिंदे, पूर्व सांसद जय सिद्धेश्वर महास्वामी, सोलापुर चेंबर ऑफ कॉमर्स, मोहोलवकील संघ और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस विषय को बार-बार रेलवे मंत्रालय के समक्ष उठाया। पाँच वर्षों से लगातार सोलापुर जिला प्रवासी संघ के कार्याध्यक्ष एडवोकेट अविनाश काले ने इस मुद्दे को जिंदा रखा।
उन्होंने बार-बार केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और मंडल प्रबंधक से संपर्क साधा। कई सांसदों और विधायकों ने लिखित निवेदन प्रस्तुत किए। सन 2024 में रेलवे के महाप्रबंधक धर्मराज मीणा ने मोहोलस्टेशन का दौरा कर नागरिकों की समस्याओं का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इसी दौरे के बाद इस माँग को गति मिली और अंततः ठहराव को हरी झंडी मिली।
रेलवे विभाग के आदेशानुसार, सिद्धेश्वर एक्सप्रेस 3 सितंबर से प्रतिदिन मोहोलरेलवे स्टेशन पर रुकेगी। मुंबई से सोलापुर की ओर आने वाली ट्रेन सुबह 5 बजकर 33 मिनट पर मोहोलपहुँचेगी, जबकि सोलापुर से मुंबई जाने वाली गाड़ी रात 10 बजकर 53 मिनट पर ठहरेगी। यह समय निर्धारण यात्रियों के लिए बेहद सुविधाजनक साबित होगा। विद्यार्थियों को मुंबई-सोलापुर के बीच पढ़ाई के लिए अब आसानी होगी, व्यापारियों को व्यापारिक यात्राओं में सहूलियत मिलेगी और मरीजों को चिकित्सा हेतु बड़े शहरों तक पहुँचने का मार्ग सुगम होगा।
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हालाँकि, नागरिकों की एक अहम माँग अब भी पूरी नहीं हुई है। टिकटों की बुकिंग सुविधा मोहोलरेलवे स्टेशन पर उपलब्ध नहीं है। यात्रियों को आज भी सोलापुर या कुर्डुवाड़ी जाकर टिकट लेना पड़ता है। नागरिकों ने अब ठहराव की मंजूरी के साथ-साथ तत्काल टिकट बुकिंग काउंटर फिर से शुरू करने की माँग तेज कर दी है। उनका कहना है कि जब पाँच साल का लंबा संघर्ष सफल हो सकता है तो टिकट सुविधा भी शीघ्र उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
मोहोलरेलवे स्टेशन पर सिद्धेश्वर एक्सप्रेस का ठहराव मंजूर होना केवल एक रेल सेवा का निर्णय नहीं, बल्कि जनता के संघर्ष, नेताओं की पहल और लोकतांत्रिक दबाव का परिणाम है। इस निर्णय ने यह साबित कर दिया कि अगर जनता एकजुट होकर आवाज उठाती है, तो कोई भी माँग असंभव नहीं रहती।यह ठहराव मोहोलके आर्थिक विकास को गति देगा, व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ाएगा और नागरिकों को यात्रा की नई सुविधा प्रदान करेगा। पाँच साल से जिस जीत का इंतजार था, वह अब साकार हुई है। मोहोलवासियों के लिए यह दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि यह केवल एक ट्रेन का ठहराव नहीं, बल्कि सामूहिक संघर्ष और जिद की जीत है।