महेश गायकवाड़ और गणपत गायकवाड़ (सौजन्य-सोशल मीडिया)
कल्याण: विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो गयी है। इसके बाद कल्याण पूर्व में राजनीतिक माहौल गरमाता नजर आ रहा है। शिवसेना से बगावत की तैयारी में शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ ने मीडिया के माध्यम से स्पष्ट चेतावनी दे दी हैं, कि अगर कल्याण पूर्व में गणपत गायकवाड़ या उनके परिवार के सदस्यों को उम्मीदवार बनाया गया तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
ऐसा कहकर शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ ने बगावत का झंडा उठा लिया है जिससे महायुति की टेंशन बढ़ गई है। अब देखना यह हैं कि क्या शीर्ष नेतृत्व महायुति में दलीय विवाद को सुलझाने में सफल हो पाता है या नहीं?
महेश गायकवाड़ का कहना हैं कि कल्याण पूर्व विकास से कोसों दूर है, वर्तमान में यहां एक सर्वसुविधायुक्त बड़ा उद्यान भी नहीं है, पानी, सड़क, साफ-सफाई जैसी समस्याओं का सामना नागरिकों को करना पड़ रहा है। कल्याण पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना शिंदे गुट और भाजपा के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है।
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कुछ महीने पहले बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ द्वारा शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ पर गोली चलाने की घटना हुई थी। इस घटना के बाद से शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ और बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस मामले में फिलहाल बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ जेल में हैं। इस दौरान गणपत गायकवाड़ की पत्नी सुलभा गायकवाड़ को बीजेपी की ओर से कल्याण पूर्व विधानसभा प्रमुख का पद दिया गया है। इस चुनाव में बीजेपी की तरफ से सुलभा गायकवाड़ का चुनावी मैदान में उतरना तय है।
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दूसरी ओर कल्याण पूर्व सीट पर शिवसेना शिंदे गुट ने भी दावा किया है। इस सीट से शिवसेना के शहर प्रमुख महेश गायकवाड, विधानसभा प्रमुख नीलेश शिंदे, शिंदे गुट के पदाधिकारी विशाल पावशे चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
शिवसेना शहर प्रमुख महेश गायकवाड़ ने विधायक गणपत गायकवाड़ के खिलाफ आरोप लगाया है और कहा हैं, कि बीजेपी विधायक गणपत गायकवाड़ को तीन बार विधायक पद पर कल्याण पूर्व के मतदाताओं ने चुना। लेकिन, पिछले 15 वर्षों में कल्याण का कोई विकास नही हुआ और कल्याण पूर्व पीछे चला गया है। नागरिकों के पास कोई सुविधा नहीं है, पानी की समस्या है, सड़कें नहीं हैं, सरकारी अस्पताल नहीं है, नागरिक परेशान हैं ऐसा आरोप लगाते हुए महेश गायकवाड़ ने चेतावनी दी है कि अगर गणपत गायकवाड़ या उनके परिवार के सदस्यों को उम्मीदवार बनाया गया तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इसके चलते यह देखना अहम होगा कि महायुति के वरिष्ठ नेता इस संबंध में क्या रुख अपनाते हैं।