सांसद संजय राउत, भाजपा नेता निशिकांत दुबे (pic credit; social media)
Sanjay Raut targets Nishikant Dubey: भाजपाई सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को कहा था कि मुंबई और महाराष्ट्र के निर्माण में उत्तर प्रदेश, बिहार और हिंदी भाषी लोगों का बड़ा योगदान रहा है। उनके इस बयान के बाद राज्य में एक बार फिर मराठी बनाम हिंदी भाषा की बहस जोर पकड़ने लगी है। सांसद दुबे का यह बयान शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) सांसद संजय राऊत को नागवार लगा है।
राऊत ने पलटवार करते हुए दुबे के बयान को मराठी अस्मिता का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि दुबे, चौबे, मिश्रा मुंबई के 106 शहीदों में शामिल नहीं हैं। निशिकांत दुबे ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मराठी-हिंदी विवाद पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि मुंबई और महाराष्ट्र के निर्माण में उत्तर प्रदेश, बिहार और हिंदी भाषी लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
संजय राउत ने कहा, आज भी हम आपकी अर्थव्यवस्था में बराबर का योगदान देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम सिर्फ योगदान ही नहीं देते, बल्कि हमारा योगदान बराबर का रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि इसके बाद भी आप हमें क्यों पीटते हैं? उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी के प्रयोग पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि अंग्रेजी बोलने में किसी को कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हिंदी बोलने का विरोध क्यों किया जाता है? दुबे ने कहा कि अंग्रेजों के आने के बाद ही भारत में अंग्रेजी बोली जाने लगी, उससे पहले कोई भी अंग्रेजी नहीं बोलता था।
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संजय राऊत ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में निशिकांत दुबे के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और मराठी लोगों के खिलाफ बोलने वालों को ज्यादा महत्व न दें। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुबे के बयान का राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समर्थन कर रहे हैं। दिल्ली में नेताओं को इस तरह की प्रवृत्ति को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। यह मराठी अस्मिता का मामला है। ऐसे कई दुबे आए और गए।
सांसद संजय राऊत ने आगे कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र 106 शहीदों के बलिदान से हासिल हुए हैं। दुबे, चौबे, मिश्रा उन शहीदों में नहीं हैं। मराठी लोगों, मिल मजदूरों और महाराष्ट्र ने संघर्ष किया और इस मुंबई को हासिल किया। संजय राऊत ने कहा कि आप मुंबई में पसीना बहाकर पैसा कमाने अर्थात मुंबई को नोचने आए थे। आप मुंबई तब आए जब आपके राज्य में न तो नौकरियां हैं और न ही उद्योग। वरना आप क्यों आते? आप मराठी लोगों के पेट पर मारकर मुंबई को लूट रहे हैं। आप मुंबई को भव्य बनाने नहीं आए।