रोहित पवार व एकनाथ शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में देवेंद्र फडणवीस सरकार यानी महायुति सरकार बनी थी। सत्ता में आने से पहले महायुति सरकार ने जनता से कई वादे किए थे। इनमें कुछ योजनाएं ऐसी भी थीं, जिनकी मदद से भाजपा के नेतृत्व में महायुति दोबारा सत्ता में आई।
कहा जा रहा है कि राज्य सरकार के खजाने में पैसों की कमी है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि वो कौन सी योजनाएं हैं, जिन्हें सरकार ने बंद करने का फैसला किया है। किन योजनाओं पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने इस बार शिंदे गुट के मंत्रियों को कम बजट दिया है। बजट में भाजपा के मंत्रियों के विभागों के लिए ज्यादा पैसे दिए गए हैं। उसके बाद अजित पवार गुट के मंत्रियों को ज्यादा बजट मिला है। बजट आवंटन के मामले में शिंदे गुट तीसरे नंबर पर है।
आपको बता दें कि महायुति सरकार में भाजपा के 132, शिंदे गुट के 57 विधायक हैं। जबकि अजित पवार गुट के 41 विधायक हैं। आने वाले दिनों में विभाग आवंटन में असंतुलन बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। फिलहाल भाजपा को 89 हजार 128 करोड़, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 56 हजार 563 करोड़ और शिवसेना को 41 हजार 606 करोड़ मिले हैं।
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने महाराष्ट्र सरकार के बजट की आलोचना करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार ने कई लोकलुभावन घोषणाएं की थीं, जिसका उसे चुनाव में फायदा मिला। लेकिन बजट में इसका कोई असर नहीं दिखा।
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इनमें कई योजनाएं महायुति सरकार 1.0 के दौरान एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए घोषित की गई थीं। वहीं, राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार द्वारा इस बार पेश किए गए बजट में शिंदे की योजनाओं में कटौती की गई है।
रोहित पवार ने कहा कि लाडकी बहिन योजना के तहत 2100 रुपए देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक राज्य की महिलाओं को इस योजना के तहत सिर्फ 1500 रुपए ही मिल रहे हैं। इसी तरह बालासाहेब दवाखाना, आनंद शिधा और तीर्थ योजना के तहत कई योजनाओं के लिए इस बार बजट में धन मुहैया नहीं कराया गया है। रोहित पवार के मुताबिक, इससे साफ है कि अब महायुति सरकार में शिंदे की अहमियत खत्म करने की कोशिश की जा रही है।