विधान परिषद सभापति के लिए नामांकन करते राम शिंदे, साथ में समर्थक
नागपुर : करीब ढाई वर्ष से विधान परिषद सभापति का पद खाली था, लेकिन अब राम शिंदे निर्विरोध सभापति चुन लिए गए हैं। विपक्ष की ओर से सभापति पद के लिए कोई नामांकन दाखिल नहीं किया गया। राज्यपाल ने सभापति के चुनाव के लिए संदेश दिया था। इसी के बाद विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोर्हे ने मंगलवार को चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था। इसको लेकर सबसे पहले महायुति की ओर से राम शिंदे के नाम नामांकन दाखिल किया गया।
इस दौरान सीएम देवेन्द्र फडणवीस, दोनों डीसीएम एकनाथ शिंदे व अजीत पवार, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे। बुधवार को दोपहर 12 बजे तक नामांकन दाखिल करने का अंतिम समय था। तब तक कोई दूसरा नामांकन नहीं आया। इसके चलते 19 दिसंबर को शिंदे की नियुक्ति औपचारिकता भर रह गई है।
सभी का जताया आभार
राम शिंदे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मेरे नाम की सिफारिश की थी। सभी से निर्विरोध चुनाव की इच्छा व्यक्त की थी। विपक्ष ने उनका मान रखते हुए मुझे समर्थन दिया। इसके लिए महायुति व विपक्ष का आभार मानता हूं। उन्होंने कहा कि राजनीति में चर्चा महत्वपूर्ण होती है। मेरी पार्टी ने मुझे सम्मान दिया है। मैं सदन में दी गई जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।
महाराष्ट्र की खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
आपको बता दें कि विधान परिषद को लगभग ढाई वर्ष बाद सभापति मिला है। विधान परिषद उपसभापति नीलम गोर्हे ने सभापति चुनाव के संदर्भ में राज्यपाल का संदेश सभागृह में रखते हुए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि 7 जुलाई, 2022 से सभापति का पद रिक्त है। अब इसके लिए 19 दिसंबर को चुनाव होने की तारीख तय की गयी थी। विधान परिषद अध्यक्ष रामराजे नाईक निंबालकर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से विधान परिषद को सभापति नहीं मिला है और उपसभापति ही जिम्मेदारी संभाल रही थीं।