सूखा कचरा प्रबंधन (सौ. सोशल मीडिया )
PMC Action On Dry Waste: चिथड़े, चमड़ा, गद्दे और फर्नीचर जैसे सूखे कचरे पर स्वतंत्र रूप से प्रसंस्करण के लिए पुणे महानगरपालिका ने मई में जल्दबाजी में जिस 75 टन क्षमता के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी वह अब कागजों में ही अटक गया है।
इस प्रोजेक्ट के लिए बजट से धनराशि आवंटित करने हेतु आवश्यक नियमानुसार ’72 ब’ का प्रावधान रद्द कर दिए जाने के कारण प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में लटक गया है।
शहर में प्रतिदिन लगभग 1200 टन सूखा कचरा निकलता है। इसमें कपड़े-चिथड़े, चमड़ा, गद्दे, फर्नीचर जैसी वस्तुओं के शामिल होने के कारण ‘वैज्ञानिक लैंडफिलिंग’ (एसएलएफ) में बड़ी बाधाएं उत्पन्न हो रही थीं। इसलिए रामटेकड़ी में एक स्वतंत्र प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया था।
इस प्रोजेक्ट को 15 साल के लिए निजी ठेकेदार को देने और इस पर 66 करोड़ खर्च करने का प्रस्ताव था। स्थायी समिति ने 29 मई को मे। ग्रीन पृथ्वी सोल्यूशन एलएलपी पुणे नामक कंपनी को यह काम देने की मंजूरी दी थी।
प्रोजेक्ट के संबंध में शिकायतें आने पर एक स्वतंत्र समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने पाया कि प्रोजेक्ट आवश्यक है लेकिन 690 प्रति टन का टिपिग शुल्क और 66 करोड़ की कुल लागत अत्यधिक है।
इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रशासक नवलकिशोर राम ने जनरल बॉडी में 72 ब के प्रावधान को रद्द करने का निर्णय लिया। इसके कारण आगामी बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए धनराशि का प्रावधान नहीं हो पाएगा जिससे प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन की संभावनाएं धूमिल हो गई हैं।
अधिकारियों का कहना है कि प्रावधान रद्द होने के बाद पुणे महानगरपालिका के सामने केवता दो विकल्प बचे हैं, या तो प्रोजेक्ट को पूरी तरह से रद्द कर दिया जाए या ठेकेदार को लागत में कटौती करने के लिए मजबूर किया जाए, इस संबंध में अंतिम निर्णय अभी आयुक्त द्वारा लिया जाना बाकी है।
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